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तरही ग़ज़ल, जनाब निलेश 'नूर' साहिब की नज़्र

मफ़ाइलुन फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन

बताऊँ,कैसे शब-ए-इन्तिज़ार गुज़री है
मेरे हवास पे होकर सवार गुज़री है

यही तो होता है हर शब हमारे सीने पर
ग़मों की फ़ौज बनाकर क़तार गुज़री है

न जाने कितनी तमन्नाओं का लहू पीकर
बड़ी ही धूम से फ़स्ल-ए-बहार गुज़री है

तुम्हें ख़बर ही नहीं है कि ये शब-ए-हिज्राँ
किसी ग़रीब का करके शिकार गुज़री है

तुम्हारा साथ जहाँ तक रहा वहाँ तक तो
हयात मेरी बहुत शानदार गुज़री है

हमारी नस्ल भी मग़रिब की तर्ज़ पर देखो
बनाके जिस्म पे नक़्श-ओ-निगार गुज़री है

समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by Samar kabeer on February 11, 2019 at 4:48pm

जनाब अनीस जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत शुक्रिया ।

Comment by Md. Anis arman on February 11, 2019 at 4:08pm

तुम्हारा साथ जहाँ तक रहा वहाँ तक तो
हयात मेरी बहुत शानदार गुज़री है

बहुत खूब सर मज़ा आ गया क्या शेर कहा  है आपने 

Comment by Samar kabeer on May 23, 2017 at 5:45pm
जनाब अनुराग वशिष्ठ जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on May 23, 2017 at 5:45pm
जनाब अनुराग वशिष्ठ जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on May 23, 2017 at 5:43pm
प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,आपके हुक्म की तामील ज़रूर करूँगा लेकिन रमज़ान के बाद ।
ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by vijay nikore on May 23, 2017 at 3:24am

अहा ! हर शेर जैसे classic है। ऐसी ही और गज़लें पढ़ने को देते रहें, समर भाई।

Comment by Samar kabeer on May 22, 2017 at 2:24pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by नाथ सोनांचली on May 22, 2017 at 12:45pm
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम, आपकी गजल का एक एक शैर एक उम्दा ख्याल को आगे रखकर बुना गया है, एक एक शैर की बात क्या करूँ, सभी एक से बढ़कर एक। मेरी हरेक शैर पर दाद और मुबारकबाद क़बूलें। सादर
Comment by Samar kabeer on May 22, 2017 at 12:11pm
जनाब शून्य आकांक्षी जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ,स्नेह बनाये रखें ।
Comment by Samar kabeer on May 22, 2017 at 12:09pm
जनाब बृजेश कुमार'ब्रज'साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ ।

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