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सुन्दरी सवैया (राज )

११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ २

सुन्दरी सवैया (मापनीयुक्त वर्णिक)
वर्णिक मापनी - 112 X 8 + 2 


निकले घर से नदिया लहरी शुचि शीतलता पहने गहना है|

चलते रहना मृदु  नीर लिए हर मौसम में उसको बहना है|

कटना छिलना उठना गिरना निज पीर सभी हँसके सहना है|

अधिकार नहीं कुछ बोल सके अनुशासन में उसको रहना है| 

 

खुशबू जिसमे सच की बसती उससे बढ़के इक फूल नहीं है|

जननी रखती निज पाँव जहाँ उससे शुचि पावन धूल नहीं है|

जिसके रहते अरि फूल छुए असली समझो वह शूल नहीं है|

जिसको करके पछताव करे मन ग्लानि  करे वह  भूल नहीं है|   

 

 

बनना यदि है कुछ जीवन में कुछ दूर अभी तुमको चलना है|

जलती उर में नव आग लिए नित सूरज सा तुमको जलना है|

तनका गहना बनता तब ही जब स्वर्ण कहे उसको गलना है|

यह बात धरो मन में अपने सबका अभिमान यहाँ ढलना है|

 

कविता उपजे मन में तब ही जब शब्द मिले सदभाव मिले हों|

खुशबू बसती उस आँगन में जिसमे मनभावन फूल खिले हों|

मन बीच वही पनपें रिश्ते जिनमे बसते शिकवे न गिले हों|

इक राग तभी सधके निकले जिसके न कहीं सुर ताल हिले हों|

--मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by narendrasinh chauhan on April 14, 2017 at 1:15pm

खूब सुन्दर रचनाए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2017 at 5:16pm

आद० समर भाई जी,आपको ये सवैये पसंद आये मेरा लेखन कर्म सार्थक हो गया दिल से आभार आपका सादर  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2017 at 5:15pm

आद० बासुदेव अग्रवाल जी ,आपको छंद पसंद आये मेरी महनत सफल हो गई दिल से आपका बहुत बहुत आभार सादर  

Comment by Samar kabeer on April 12, 2017 at 5:59pm
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत सुंदर सुंदरी सवैया छन्द रचे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on April 12, 2017 at 11:26am
वाह आ0 राजेश कुमारी जी एक से बढ़कर एक सुंदरी सवैए रचे हैं। एक सवैया भी पूर्ण विधान के साथ भाव मिला कर रचना आसान नहीं होता। आपने तो अलग अलग भावों पर चार रच दिए हैं। अंतिम छंद तो बहुत ही अच्छा लगा। हृदय से बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 12, 2017 at 10:57am

आद० मोहम्मद आरिफ जी ,आपको ये सवैया छंद पसंद आये आपका दिल से बहुत- बहुत आभार| 

Comment by Mohammed Arif on April 11, 2017 at 11:02pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत बेहतरीन सवैया छंद । बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय से अवगत करवाएँगे ।

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