For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैंने उसके नाम
जितने गीत लिखे थे
उसने सभी नकार दिए हैं
उसने नकार दिया है
उन गीतों में अपने वजूद को
अपनी मौजूदगी को
अपने किसी भी अहसास को

उसे नहीं है याद
वो लवबर्ड का जोड़ा
जो बहुत प्यार से उसने सजाया था
मेरी अलमारी में
और उसे नहीं है याद वो रक्षा सूत्र
जो उसने मुझे
और मैंने उसको पहनाया था
उसने नहीं है याद वो सोलह रूपए जो
जबर्दस्ती उसने दिए थे समोसे वाले को
ये जानकार कि
मेरी जेब खाली है

उसने नकार दिया है
अपने माथे पर लगी उस चोट को
जो मेरे ख्याल में ग़ुम रहने पर
खंबे से टकराने पर लगी थी उसे
उसने नकार दिया है
अपनी उँगलियों के पोरों पर
मेरी इकलौती छुवन को भी

और न जाने क्या क्या
नकार दिया उसने
धुल गया है सब कुछ उसके दिल से
और दिमाग से

और मैं नहीं भूल सका कुछ भी

इसलिए मैं उसका नकार स्वीकार नहीं कर सकता
और उसके नकार पर एतराज करता हूँ
नकारता हूँ उसके नकार को
पूरी शिद्दत से

कहीं मैं उस वो विशुद्ध पुरुषवादी सोच का ही
हिस्सा तो नहीं
जो स्त्री को नकार की इज़ाज़त नहीं देता

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on March 29, 2017 at 10:20pm
Bahut bahut aabhar
Aadaraniy Mahendra ji
Sadar
Comment by Mahendra Kumar on March 29, 2017 at 7:32pm
आदरणीय मनोज जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति लगी आपकी। ढेर सारी बधाई प्रेषित है। सादर।
Comment by मनोज अहसास on March 26, 2017 at 11:45am
Bahut bahut aabhar
Aadarniy mo.arif Sahab
Kuch dinon se likh nahi pata hun
Aur obo par type karne me bhi much samasya hai
BA's ye rachna apne aap hi ho gai
Sadar aabhar
Aapka
Comment by Mohammed Arif on March 26, 2017 at 9:46am
आदरणीय मनोज कुमार जी आदाब, बहुत ख़ूब सूरत प्यार के अहसास में डूबी रचना । शायद आपकी ओबीओ पर यह नई रचनात्मक दस्तक है । आपको ढेरों मुबारकबाद ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आपकी टिप्पणी एवं मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार। सुधार का प्रयास करुंगा।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। आ. भाई तिलकराज जी के सुझाव से यह और निखर गयी है।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service