For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -है बोलने का मुझे इख़्तियार, कह दूँ क्या - ( गिरिराज )

1212   1122   1212    22 /122

सुनें वो गर नहीं,तो बार बार कह दूँ क्या

है बोलने का मुझे इख़्तियार, कह दूँ क्या

 

शज़र उदास है , पत्ते हैं ज़र्द रू , सूखे

निजाम ए बाग़ है पूछे , बहार कह दूँ क्या

 

कहाँ तलाश करूँ रूह के मरासिम मैं

लिपट रहे हैं महज़ जिस्म, प्यार कह दूँ क्या

 

यूँ तो मैं जीत गया मामला अदालत में

शिकश्ता घर मुझे पूछे है, हार कह दूँ क्या

 

यूँ मुश्तहर तो हुआ पैरहन ज़माने में

हुआ है ज़िस्म का भी इश्तिहार, कह दूँ क्या

 

हाँ, लहज़ा तल्ख़ था लेकिन कही हक़ीकत थी

ज़रा सा पूछ तो लेते, कि ख़ार कह दूँ क्या

 

वो, एक लम्हा भी जिसने मुझे हँसाया है

ये दिल कहे, उसे परवर दिगार कह दूँ क्या

 

*****************************************

 मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 907

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 1:22pm

आदरनीय आमोद भाई , उत्साहवर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 12:25pm

आदरनीय महेन्द्र भाई , उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 12:25pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया आपका ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 12:24pm

आदरणीय राघव भाई , प्रवास मे होने के कारण  आभार प्रदर्शन के लिये देरे से उपस्थित हो पाया , क्षमाप्रार्थी हूँ ।

आदरनीय , अच्छा लगा ये जान कर कि हमारे ओ बी ओ परिवार मे एक और उस्ताद शायर शामिल हुये हैं , जिनके अनुभव से हम सभी का भला होगा ।

आपकी सलाह सर आखों पर , लेकिन एक आध शेर आप उदाह्हरण स्वरूप आप सुधार कर बता देते तो मुझे सुधार में आसानी होती ।

मेरे प्रति आपकी धारणा -- जो आपके इस कथन से जाहिर है // आप जैसे कद के शायर से अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं //  सर्वथा निर्मूल है , मै अभी  गज़ल के मामले मे बच्चा ही हूँ , और यही मान कर आप मुझे सिखायें और उम्मीदें रखे , ऐसी मेरी आपसे प्रार्थना है । मेरी कुल उम्र अभी तीन साल ही मान कर चलियेगा ...
आपका पुनः गज़ल पर उपस्थित होने के लिये आभार ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 7, 2017 at 12:23pm
वह्ह्ह दादा बहुत खूब गजल कही है
शजर उदास है पत्ते हैं जर्द रु सूखे

वह्ह्ह वह्ह्ह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 12:09pm

आदरनीया राजेश जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 12:08pm

आदरनीय नीलेश भाई , सराहना और सलाह के लिये आभार आपका । आवश्यक सुधार कर लूँगा ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 12:07pm

आदरनीय शिज्जु भाई , आभार आपका ,

 प्रवास मे होने के कारण देरे से उपस्थित हो पाया ।

Comment by Mahendra Kumar on March 5, 2017 at 12:35pm
आदरणीय गिरिराज सर, बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on March 4, 2017 at 7:20am
आदरणीय गिरिराज जी सादर अभिवादन, बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने, कुछ सुझाव गुणीजनों ने दिया हियी, देखियेग। मुझे तो सभी अशआर अच्छे लगे, दाद के साथ बधाई निवेदित हैं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
14 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service