For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सवैये - प्रथम प्रयास

वागीश्वरी सवैया सूत्र : यगण X 7 + ल गा

(1)
कहीं भी कभी भी यहाँ भी वहाँ भी, किसी को किसी का भरोसा नहीं |
यही है ज़माना बताऊँ तुझे क्या, ज़रा भी सलीक़ा नहीं है कहीं |
इसी के लिये तो हमारी वफ़ा ने, जहां में कई यातनाएं सहीं |
बड़ों ने बताया जिसे ढूंढते हो, भरोसा यहीं है मिलेगा यहीं ||

(2)
भलाई हमें तो दिखी है इसी में, कभी भी दुखों में न आहें भरें |
हमारे लिये तो यही है ज़रूरी, यहाँ कर्म अच्छे हमेशा करें |
हमें ये सिखाया गया है कि भाई, हदों को न तोड़ें ख़ुदा से डरें |
किसी हाल में भी न भूलें कभी ये, भले ही जहाँ में जियें या मरें ||

--समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 997

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 10, 2019 at 3:33pm

जनाब अनीस शैख़ साहिब आदाब,आपको छन्द पसंद आये,जानकर प्रसन्नता हुई,सराहना के लिए आपको धन्यवाद कहता हूँ ।

Comment by Md. Anis arman on March 10, 2019 at 3:08pm

जनाब समीर कबीर साहब आपकी ग़ज़लें पढ़ते पढ़ते इस छंद में पहुँच गया इसको पढ़ने के बाद मुझे राहत इंदौरी साहब  का शेर याद आ रहा  ,"

फ़क़ीर ,शाह  , कलंदर, इमाम क्या क्या है 

तुझे पता नहीं तेरा ग़ुलाम क्या क्या है |

क्या कहूँ मैं इन सब के लिए तो एक ज़िंदगी कम पड़ जाये पता नहीं कैसे कर  लेते हैं आप, बहुत खूब सर 

Comment by Samar kabeer on December 16, 2016 at 10:02am
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,ये सब ओबीओ का करिश्मा है, मेरा प्रयास आपको पसंद आया लिखना सार्थक हुआ,आपकी दुआएं शामिल रहीं तो धीरे धीरे सभी छन्दों पर प्रयास करने का इरादा रखता हूँ,सराहना और उत्साहवर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2016 at 7:45pm

वाह्ह्ह्हह वाह्ह्ह्ह आद० समर भाई जी ,वागीश्वरी सवैया ..शिल्प पर इतना सधा हुआ प्रवाह की देखते ही बनता है कहीं से नहीं लगता की आप प्रयास कर रहे हैं गजलों में तो आप माहिर हैं छंदों में भी एक दिन सिद्धस्थ होकर निकलेंगे .मेरी दिल से दुआएँ और मुबारकबाद आपको .

Comment by Samar kabeer on November 4, 2016 at 11:00pm
जनाब विजय निकोर जी आदाब,सवैये आपको पसंद आए ,लिखना सार्थक हुवा,सराहना के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by vijay nikore on November 4, 2016 at 2:12pm

आदरणीय समर कबीर जी, आपकी प्रस्तुतियां पढ़ कर आनन्द आया ... गहरे भाव, उत्तम संदेश ... जीवन में इनका प्रयोग कितना उपयोगी है ! हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on November 4, 2016 at 10:41am
जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,आपने मेरे प्रयास की सराहना की बहुत ख़ुशी हासिल हुई और इसके लिए में आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
छन्दों पर मैने जब जब प्रयास किया है आपने मेरा मार्गदर्शन किया है,छोटी छोटी बातें पूछने के लिये मैने बार-बार आपको टेलीफोन से मार्गदर्शन लिया है और आपने हमेशा मेरी हौसला अफजाई के साथ मुझे छन्दों की बारीकियां समझाई हैं,आज में कुछ करने लायक हुआ हूं तो इसमें आपका भी हिस्सा है,में इसे दिल से तस्लीम करता हूँ,और आगे भी आपको परेशान करता रहूंगा पुरे हक़ के साथ,क्योंकि आप तो मेरे घर के ही हैं ।
आपकी सराहना और मार्गदर्शन के लिये सदा आपका आभारी रहूंगा,इस स्नेह के लिये आपको विशेष धन्यवाद कहता हूँ स्वीकार करें ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on November 4, 2016 at 9:04am

आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, आपको गजलों की महारत के पश्चात छंदों पर कार्य करते देखकर प्रसन्नता हुई है. पहले मात्रिक में दोहा  और अब वार्णिक छंद में सवैया.

        दोनों ही छंद आपने प्रथम बार में ही उत्तम रचे हैं. कहीं भी गण दोष नहीं दिख रहा है यह आपके लेखन में सजगता को दर्शा रहा है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

Comment by Samar kabeer on November 3, 2016 at 11:44pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,मेरा प्रयास आपको पसंद आया, लिखना सार्थक हुवा, रचना की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । ये जानकर ख़ुशी हुई कि आप भी सवैये लिखना चाहते हैं,मेरी दुआएँ आपके साथ हैं,आपके सवैये का इन्तिज़ार रहेगा ।
Comment by Samar kabeer on November 3, 2016 at 11:41pm
जनाब बासुदेव अग्रवाल 'नमन' जी आदाब,मेरा प्रयास आपको पसंद आया,मेरा लिखना सार्थक हुवा,सुझाव और रचना की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
5 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
7 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service