For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शत्रु ना छू पाय सीमा दोस्तों (ग़ज़ल)

२१२२ २१२२ २१२

शत्रु ना छू पाय सीमा दोस्तों
सावधानी का ज़माना दोस्तों |
वीर हो बलवान हो तुम पासबाँ
हो बुलंदी पर तिरंगा दोस्तों |
शूरवीरों पर ही आश्रित भारती
शिर न झुकने पाय इसका दोस्तों |
माज़रा सरहद पे उलझा है बहुत
साथ मिलकर ठान लेना दोस्तों |
प्राण से प्यारा हमें कश्मीर है
हाथ से जाने न देना दोस्तों |

मौलिक /अप्रकाशित

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 20, 2016 at 8:16am

आ. सौरभ पाण्डेय जी , विन्दुवत मार्ग दर्शन के लिए तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 20, 2016 at 8:13am

हार्दिक आभार आ. गिरिराज जी , भाव एवं शब्द का ताल मेल बैठाना मुश्किल लगता है | थोड़ा समय चाहिए | हार्दिक आभार |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 20, 2016 at 8:09am

कोशिश जारी है आ शिज्जू 'शकूर ' जी ,हार्दिक आभार |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 20, 2016 at 8:07am

सादर आभार आ. श्याम नारायण जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 20, 2016 at 4:23am

इस प्रयास केलिए हार्दिक बधाई आदरणीय.

ग़ज़ल केवल विधा और विधान से नहीं कुछेक मान्यताओं से भी चलती है. नहीं के लिए ना का प्रयोग गीत-कविता में जिस सहजता से चलता है, ग़ज़ल चाहे हिन्दी की हो या उर्दू की ना की जगह न का ही प्रयोग होता है. 

दूसरी बात, दोस्तों का प्रयोग अनुचित है. आपने सम्बोधित किया है तो फिर दोस्तो ही होगा, न कि दोस्तों. 

तीसरी बात, शिर का अर्थ मुझे स्पष्ट नहीं हुआ?

बाकी, मान्य सुधीजनों के कहे के प्रति आशान्वित रहें. 

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 19, 2016 at 8:26pm

आदरणीय कालीपद भाई , गज़ल पर खूब अच्छा प्रयास हुआ है , मिसरे बहर मे हैं , दिल से बधाइयाँ आपको । कहन के विषय मे मै भी आ. शिज्जु भाई जी से सहमत हूँ । कुछ समय और चाहते हैं शेर ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 19, 2016 at 10:54am

आ. कालिपद जी बह्र पर तो आपने खूब मेहनत की है, कहन के हवाले से ग़ज़ल थोड़ा समय और माँग रही है

Comment by Shyam Narain Verma on October 18, 2016 at 3:25pm
इस सुंदर प्रस्तुति के लिए तहे दिल बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service