For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुरु महिमा (दोहा छन्द)/सुरेश कुमार ' कल्याण '

धन दौलत के फेर में, फैल रहा अन्धेर।
गुरु मारग पै चालिये, ना भटकेगा फेर।1।

दया धर्म अरु ज्ञान बिन, मिथ्या है अभिमान।
गुरु बिन तीनों ना मिलैं,सम हैं गुरु भगवान ।2।

दया धर्म सब व्यर्थ हैं, व्यर्थ पड़ा सब ज्ञान।
शीश झुके गुरु चरण में, मिले सन्त सुजान।3।

गुरु की राह न त्यागिये, यही गुणों की खान।
गुरु को छाड़ैं ना मिलै, कहीं प्रेम आराम।4।

गुरु बिन गति हो ज्ञान की, जैसे धनु बिन बाण।
सच्चे गुरु की ओट में, पूरे हों अरमान।5।

गुरु की महिमा मानिये,गुरु हरता अभिमान।
सतगुरु मन से पूजिये, मिल जाएं भगवान।6।

गुरु का घटता देखकर, जनमानस में मान।
भगवन चिंता हो रही, कैसे हो ' कल्याण '।7।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 10, 2016 at 9:40pm
आदरणीया अर्पणा शर्मा जी सादर आभार ।
आपको दोहा रचना पसंद आई अहोभाग्य ।
Comment by Arpana Sharma on October 10, 2016 at 4:21pm
गुरू महिमा के प्रेरक दोहे। बहुत अच्छी रचना आ.सुरेश"कल्याण" जी
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 10, 2016 at 9:39am
आदरणीय श्री रामबली गुप्ता जी उचित मार्गदर्शन हेतु हृदयतल से आभार । आपके द्वारा दिए गए सुझावों पर अमल करने की कोशिश करता हूं । सादर ।
Comment by रामबली गुप्ता on October 10, 2016 at 3:33am
शब्द कलों के सही प्रयोग से सही गेयता और प्रवाह मिलेगा। सार्थक प्रयास के लिए पुनः बधाई।सादर
Comment by रामबली गुप्ता on October 10, 2016 at 3:28am
दोहों पर प्रयास बहुत ही सुंदर है आद0 सुरेश भाई जी। दिल से बधाई लीजिये।
अव्वल बताना चाहूँगा की 'गुरु' के स्थान पर 'गुर' शब्द का प्रयोग करना उचित प्रतीत नही होता जबकि दोनों में 2 मात्रा ही है। सम्भवतः आपने गुरु को गुरू पढ़ते हुए तीन मात्रा गिना है इसके कारण कई जगह शिल्प भी भंग है।
इसी प्रकार एक दो स्थान पर शिल्प बुनावट में भी त्रुटि हो गयी है जैसे-
गुरु बिन ज्ञान हो ऐसा ........ यहां चरणान्त में शिल्प गलत है। विषम चरणों की बुनावट इस प्रकार रखिये की अंत में उर्दू वह्र के अनुसार 212 का मात्रा संयोजन आये। इसके लिए शब्द कलों को समझना जरूरी होता है।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 9, 2016 at 8:00pm
आदरणीय श्री सुरेंद्र जी रचना अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार । सादर ।
Comment by नाथ सोनांचली on October 9, 2016 at 10:50am
आदरणीय श्री सुरेश कुमार 'कल्याण' जी आपकी रचना से प्रभावित हूँ। सच्चे गुरु के बिना ज्ञान नही मिल सकता और बिन ज्ञान बेडा भी पार नहीं हो सकता। आपको बधाई खुबसूरत रचना के लिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
16 minutes ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
19 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service