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मैंने आँखों में देखी तेरी सूरत

तेरी आँखों में मैंने देखी अपनी सूरत

तब से भूला जग में जीने की चाहत ॥

तेरी भोली मूरत का मैं पुजारी हो गया

तेरा दीवाना, परवाना मस्ताना हो गया

गलियों में तेरे घूमता आवारा हो गया

मैं सभी के नजरों में बदनाम हो गया ।

तेरी आँखों में मैंने देखी अपनी, सूरत

तब से भूला जग में जीने की चाहत ॥

भूलकर मैं सुध बुध मस्ताना हो गया

पतंगे की तरह मैं तेरा दीवाना हो गया  

तेरे बिन मैं तो अब बेसहारा हो गया   

सुबह शाम तेरी राह देखता रह गया ॥

तेरी आँखों में मैंने देखी अपनी, सूरत

तब से भूला जग में जीने की चाहत ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Samar kabeer on September 18, 2016 at 3:30pm
जनाब राम आश्रय जी आदाब,इस प्रस्तुति पर बधाई आपको ।

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