For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पकड़कर हाथ राधा का चले जो नूर का बेटा (फिल्बदीह ग़ज़ल 'राज '

पड़े आफ़ात तो छुपता किसी मशहूर का बेटा 
कलेजा शेर का रखता मगर मजदूर का बेटा 

कहीं ऊपर जमीं के उड़ रहा मगरूर का बेटा 
जमीं को चूमता चलता किसी मजबूर का बेटा

कई तलवार बाहर म्यान से आती दिखाई दें  
पकड़कर हाथ राधा का चले  जो नूर का बेटा

सिखाने पर परायों के भरा है जह्र नफरत का 
चला हस्ती मिटाने को कोई अखनूर का बेटा

कदम पीछे हटा लेता जहाँ उसकी जरूरत हो 
हर इक रहबर फ़कत कहने को है जम्हूर का बेटा 

सरापा थाम लेती है तुम्हें अंगूर की बेटी 
अगर होता तो क्या देता तुम्हें अंगूर का बेटा 

हुनर में डूब कर उसके कलम करता ग़ज़ल गोई 
ग़ज़ल में नाम उसका लिख दिया संतूर का बेटा

--------मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 1361

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 25, 2016 at 11:07am

आद० गिरिराज जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ आपका दिल से शुक्रिया | आपने सही कहा सार्थक चर्चा से सार्थक बातें सामने निकल कर आती हैं |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 25, 2016 at 11:05am

आद० दिनेश कुमार जी ,आपको ये शेर पसंद आया भुर भुर शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2016 at 9:44am

आदरनीया राजेश जी , बहुत कठिन रदीफ ले कर आपने बेहतरीन गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ आपको । आ. समर भाई जी से चर्चा भी लाभ प्रद हुआ ! हार्दिक बधाई ।

Comment by दिनेश कुमार on August 25, 2016 at 6:02am
पकड़कर हाथ राधा का चले जो नूर का बेटा.... कमाल का शेर हुआ है। वाह वाह ।
Comment by Samar kabeer on August 24, 2016 at 9:50pm
बहना "अखनूर"की जानकारी देने का शुक्रिया,आपका शैर बहुत उम्दा और जज़्बाती है, बधाई आपको ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 24, 2016 at 7:09pm

बहुत बहुत शुक्रिया आपका भाई जी 

Comment by Samar kabeer on August 24, 2016 at 6:48pm
"तभी तलवार बाहर म्यान से आती दिखाई दे" ये बहतर है बहना ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 24, 2016 at 6:47pm

आद० समर भाई  जी अखनूर एक कश्मीर में शह्र है जहाँ दंगे फसाद होते रहते हैं ये शेर उसी सन्दर्भ में लिया है |सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 24, 2016 at 6:13pm

प्रिय प्रतिभा त्रिपाठी जी जार्रनावाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया स्नेह बनाते रखें आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 24, 2016 at 6:12pm

आद० समर भाई जी, आपके हर सुझाव का स्वागत है | आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लेखन कर्म सार्थक हुआ होंसलाफ्जाई का तहे दिल से शुक्रिया |१२२२ १२२२ में कई तलवारें कर सकते हैं क्या ?या दूसरा ऑप्शन है तभी तलवार बाहर म्यान से आती दिखाई दे | अब आपका क्या मशविरा है इन्तजार रहेगा भाई जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service