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दो चार कहीं लगते पौधे , रोज कटते हैं पेड़ हज़ार |

दो चार कहीं लगते  पौधे , 
रोज कटते हैं  पेड़ हज़ार |
वन झाड़ी का होत सफाया , बाग कानन  का  मिटता नाम |
कहीं  पेंड नज़र  नहीं आते  ,    कहाँ   जा करे  राही विश्राम |
खग जाकर कहाँ  करे कलरव  , मिले ना कही जब  फलाहार |
घर सजते नकली  फूलों से , जभी आये कोई त्यौहार |
दो चार कहीं लगते  पौधे , 
रोज कटते हैं  पेड़ हज़ार |
कहीं सड़क वन बाग़ उजाड़े , कहीं मानव करता वन खाक  |
हर तरफ तरुवर सहे  आफत , आँधीं तूफ़ाँ करता  मजाक |
वन झाड़ का होता  सफाया ,  घर ही बनते जाते हज़ार |
कम  हैं खेत बढ़ी आबादी  ,   वन झाड़ काटें  हो लाचार |
दो चार कहीं लगते  पौधे , 
रोज कटते हैं  पेड़ हज़ार |
कहीं  पौध जिसने  ना रोपी  , फूल फलों  को कहें बेकार |
बाग़ बेचकर खेत बनाये  ,  माँ बाप का था जो आधार  |
फल फूल कहीं मिले  कैसे , पौधों का जब मिटे  अधिकार | 
जब हर लोग  लगायें पौधे , तब बढे हरा भरा संसार |
दो चार कहीं लगते  पौधे , 

रोज कटते हैं  पेड़ हज़ार |

श्याम नारायण वर्मा 
मौलिक व अप्रकाशित |

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Comment by Shyam Narain Verma on October 25, 2016 at 1:13pm

आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय

Comment by vijay nikore on October 24, 2016 at 3:44pm

बहुत ही सुन्दर रचना । बधाई।

Comment by Shyam Narain Verma on August 11, 2016 at 3:32pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , रचना पर उत्साहित करती प्रतिक्रिया और सुझाव  के लिए आपका हार्दिक आभार | मैं सुधार करने की कोशिश करूँगा |

सादर

Comment by Shyam Narain Verma on August 11, 2016 at 3:27pm

आदरणीय शुरेश कुमार कल्याण जी , तहे दिल से आभार आपका
सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2016 at 12:34pm

आदरणीया श्याम नाराइन भाई , पर्यावरण संरक्षण पर अच्छा गीत रचना आपने , दिल से बधाइयाँ आपको । बस मात्रिकता और कलों का निरवहन मे कुछ कमियाँ लगीं , इसी लिये लय कहीं कहीं बाधित हैं ।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 11, 2016 at 12:33pm
आदरणीय श्री श्याम नारायण जी बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति हुई है । पर्यावरण को बचाने के लिए और लोगों को जागरूक करने के लिए हार्दिक बधाई । बहुत ही सुन्दर रचना । बधाई प्रेषित है ।
Comment by Shyam Narain Verma on August 10, 2016 at 11:20am
आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 10, 2016 at 11:10am
वनस्पति एवं पर्यावरण को समर्पित इस सुन्दर रचना की प्रस्तुति पर बधाई, आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , सादर।
Comment by Shyam Narain Verma on August 10, 2016 at 10:48am
मेरी रचना को प्रोत्साहन देने के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 9, 2016 at 10:48pm
पर्यावरण पर सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय।हार्दिक बधाई!

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