For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहती बयार को यार यूँ ही बहने दो/सुरेश कुमार ' कल्याण '

तमाशबीन नयनों को झुका रहने दो,
इन फड़कते लबों को भी कुछ कहने दो।

अगर हमसे खता कुछ हो गई,
खुद को तो तुम बेखता रहने दो।

इतने अधीर क्यों हो मिलने की खातिर,
हमें भी कुछ गम-ए-जुदाई सहने दो।

जल बिन मीन सा तड़प रहा मन,
बहती बयार को यार यूँ ही बहने दो।

चाँदनी भी है मौसम भी खुशगवार है,
मगर मन उदास है इसे उदास ही रहने दो।

जग हँस रहा है मेरी इन तन्हाइयों पर,
वहम करते हैं लोग इन्हें वहमी ही रहने दो।

मेरे खाक होने से खुशी मिले यार को,
तो मैं खाक हूँ यार खाक ही रहने दो।

मौलिक व अप्रकाशित
सुरेश कुमार ' कल्याण '

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on July 6, 2016 at 1:46pm
श्रद्धेय गिरिराज भंडारी जी सादर आभार। मार्गदर्शन के लिए दिल से धन्यवाद ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 5, 2016 at 8:41pm

आदरणीय सुरेश भाई , भाव और विचार अच्छे है , हार्दिक बधाई । काफिया रदीफ निभाने के कारँ ये ग़ज़ल लग रगी है , पर मिसरे बहर मे नही  हैं , अतः आपकी रचना ग़ज़ल होने से रह गई है ।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on July 5, 2016 at 10:06am
आदरणीय श्री अशोक कुमार रकताले जी रचना पर अपने कीमती विचार देने के लिए हार्दिक आभार।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on July 5, 2016 at 10:05am
आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी आपको रचना पसंद आई हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 5, 2016 at 12:01am

वाह ! अच्छे ख़याल है साहब. बहुत बधाई. सादर.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 4, 2016 at 5:11pm

इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधायी सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service