For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222       1222       1222       1222

​जहाँ के गम तुम्हें देगी किसी भी रोज ये चुप्पी 

तुम्हारी जान ले लेगी किसी भी रोज ये चुप्पी

चलो माना ये चुप रहने से हल होंगे कई मुददे
कि सारे राज खोलेगी किसी भी रोज ये चुप्पी

जो रखते हैं लगा के होंठ पे ताले रिवाजों के 
जुबां से उनके बोलेगी किसी भी रोज ये चुप्पी

तमस की आँधियों ने बाग को बर्बाद कर डाला 
नयन अपने भिंगोयेगी किसी भी रोज ये चुप्पी

गरीबों का लहू पानी समझ ज़ालिम बहाते हो 
लहू की होली खेलेगी किसी भी रोज ये चुप्पी

यूँ ही खामोश रहने की अगर पड़ जाये जो आदत 
हमारा खून पी लेगी किसी भी रोज ये चुप्पी 

(मौलिक एवं अप्रकाशित) 
©बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 30, 2016 at 8:32pm

आदरणीय  गिरिराज भंडारी जी आपकी सार्थक समीक्षा के लिए आपका ह्रदय से आभार....नमन करता हूँ

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 30, 2016 at 8:29pm

आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 30, 2016 at 8:02pm

आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी....रदीफैन दोष था उसे सही किया है

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 30, 2016 at 7:59pm

आदरणीय  Harash Mahajan जी रचना पटल पे आपके अमूल्य समय एवं
विस्तरत समीक्षा के लिए ह्रदय से अभारी हूँ....सुधार किया है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 27, 2016 at 2:32pm

आदरणीय बृजेश भाई , अच्छी गज़ल हुई है , बहुत कठिन रदीफ को खूबसूरती से निभा गये आप । हार्दिक बधाई आपको ।

जुबां से उनके बोलेगी     या -   जुबां से उनकी बोलेगी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 26, 2016 at 7:30pm
आदरणीय ब्रिज जी होंठो के खामोशी टूटते ही जो हंगामा खड़ा हो सकता उसका सूंदर चित्रण किया आपने इस रचना माध्यम से मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर बधाई के साथ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 26, 2016 at 7:02pm
तक़ाबुले रदीफ़ नज़र नहीं आ रहा है, बृजेशजी क्या आपने संशोधित किया है।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 26, 2016 at 7:00pm
बहुत बढ़िया बृजेश जी अच्छी ग़ज़ल है, बधाई
Comment by Harash Mahajan on June 26, 2016 at 2:00pm

आ० बृजेश कुमार 'ब्रज'  जी बहुत खूबसूरत इन्तखाब  हुआ  हैI चौथे और आखिरी शेअर में तक़ाबुल-ए-रदीफैन का दोष आ गया है, उसे देख लें I इस प्रस्तुति हेतु मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करें |

सादर !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
1 hour ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service