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पिता 

परिवार -नैया पिता  पतवार  

तूफान-आंधी में  खेते जाते 

बोते जाते  श्रम -कण फसलें 

साधिकार पल जाती  नस्लें 

पिता के काँधे 

कवच सा बांधे 

सतत कुटुंब सुरक्षा स्तम्भ

सिंहद्वार सशक्त अविलम्ब 

पिता का साथ 

बरगद सा एहसास  

धूपों को चुनौती 

मन्नत सी मनौती 

पिता की उंगली

दिशाओं  का बोध 

सम्बल  सहारा 

आश्वासन अविरोध 

 

मेरे पिता मेरे ध्रुवतारे 

मेरे पिता से पिता हों सारे 

मौलिक  व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by amita tiwari on June 20, 2016 at 8:50pm

मान्य राजेश कुमारी जी ,श्याम नारायण जी 

आपकी  सराहना के लिए आभार .

धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 20, 2016 at 8:45pm

वाह वाह वाह  ...अमिता  जी  शानदार उम्दा लिखा है आपने हार्दिक बधाई शुभकामनायें 

Comment by Shyam Narain Verma on June 20, 2016 at 11:00am
बहुत खूबसूरत रचना के लिये आपको बधाई ॥

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