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ठाकुर सरकार,  माफ़ कर दें . मेरी बिटिया अभी नासमझ है .तीन दिन से चूल्हा नहीं जला सरकार .’

‘क्यों चूल्हे को क्या हुआ ?’

‘सरकार, उनका पुलिस चोरी के शक में पकड़ ले गयी , वही कुछ कमा कर लाते थे, घर् में कुछ था ही नहीं तो चूल्हा कैसे जलता?’

‘और---- तेरी बिटिया ने भी तो चोरी ही की है , तुम सब घर भर चोर हो तो माफी कैसी ?’

‘नहीं सरकार, उन्होंने चोरी नहीं की, पुलिस साबित नहीं कर पायी ‘

‘मगर तुम्हारी बेटी तो चोरी करती पकड़ी गयी .’

’हाँ सरकार मगर-----‘

‘अब अगर मगर कुछ नहीं उसे तीन दिन मेरे घर में रहकर काम करना होगा और तुम उससे मिलने नहीं आओगी . यह मेरा इन्साफ भी है और  हुक्म भी’

‘जी सरकार -----‘-उसने मरी से आवाज मे कहा और रोती-बिलखती चली गयी .

ठाकुर के मित्र जो यह इन्साफ देख रहे थे, हंस कर बोले –‘क्या चुराया था लडकी ने ?’

‘एक प्याज चुराया था, सुना नहीं तीन दिन से चूल्हा नही जला था’

‘तो उस भूख की इतनी बड़ी सजा ------?

‘तुमने उसे अभी देखा नहीं --- पन्द्रह की पूरी हो गयी है .’

(मौलिक व अप्रकाशित )

 

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Comment by रामबली गुप्ता on May 19, 2016 at 8:41pm
बहुत ही सुंदर लघु कथा हुई है आदरणीय। आकाश भर बधाई आपको।
Comment by रामबली गुप्ता on May 19, 2016 at 8:41pm
बहुत ही सुंदर लघु कथा हुई है आदरणीय। आकाश भर बधाई आपको।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2016 at 8:11pm

आ० समर  कबीर साहिब . बहुत बहुत धन्यवाद .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2016 at 8:11pm

आ०  विजय सर  ! आपकी प्रतिक्रिया का आभारी   हूँ . .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2016 at 8:08pm

आ ० सुरेश कुमार कल्याण जी , बहुत बहुत शुक्रिया .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2016 at 8:08pm

आ० श्याम नारायण जी . हार्दिक आभार .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2016 at 8:06pm

आ० राहिला जी . आपका आभार .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2016 at 8:05pm

 प्रिय पवन जी , एक भूख  ठाकुर साहिब की भी है , आभार .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2016 at 8:04pm

आ० सरना जी . आपकी उत्साहवर्धक टीप से आश्वस्त हुआ . सादर  .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2016 at 8:03pm

आ० जानकी वाही जी , आपने सही कहा . सामंतवाद का वीभत्स  चेहरा . आभार .

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