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हौले हौले-(ग़ज़ल - एक प्रयास)

हौले हौले-(ग़ज़ल - एक प्रयास)

बहर -२२ २२ २२ २

हौले हौले रात चली
हौले हौले बात चली !!१!!

हौले हौले  होंठ  हिले
हौले से बरसात चली !!२!!

हौले  हौले   आँखों    में
प्यासी प्यासी रात चली !!३!!

हौले   हौले   जीत   हुई
आलिंगन की बात चली !!४!!

हौले  हौले  ख़्वाबों की
आँखों से बरसात चली !!५!!

हौले  हौले  आँखों   से
जागी जागी रात चली !!६!!

हौले  हौले  वो  महकी
जुगनू की बारात चली !!७!!


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 658

Comment

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Comment by Sushil Sarna on May 2, 2016 at 6:58pm

आदरणीय सौरभ सर प्रत्युत्तर के लिए हार्दिक आभार। प्रयास  जारी रहेंगे। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 6:03pm

पगना का अंग्रेजी पर्याय होता है - सीज़ण्ड (seasoned) होना. अन्य भावार्थ होगा, कालतप्त होना. 

Comment by Sushil Sarna on May 2, 2016 at 5:00pm

आदरणीय सौरभ सर प्रस्तुति के प्रयास पर  आपकी स्नेहाशीष का हार्दिक आभार।  सर ये पगने का अर्थ समझ नहीं आया , कृपया बता कर अनुग्रहित करें ताकि बन्दा तदानुसार अपने सृजन पता पर अग्रसर हो।  हार्दिक आभार सर। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 4:01pm

ऐसे प्रयास आपके रचनाकर्म केपगने का कारण होंगे आदरणीय सुशील सरनाजी.

शुभेच्छाएँ

 

Comment by Sushil Sarna on May 2, 2016 at 12:53pm

आदरणीय  जयनित कुमार मेहता जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 2, 2016 at 7:36am
आ. सुशील जी, इस सुन्दर प्रयास के लिए बधाइयां आपको।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 2, 2016 at 7:36am
आ. सुशील जी, इस सुन्दर प्रयास के लिए बधाइयां आपको।
Comment by Sushil Sarna on May 1, 2016 at 3:01pm

आदरणीय    Nilesh Shevgaonkar   जी प्रयास की सराहना के लिए हार्दिक आभार।  बाकी आपके कथन  से मैं सहमत हूँ सर अभी आप जैसे गुणी जनों की उंगली पकड़ क्र पइयाँ पइयाँ चलना सीख रहा हूँ धीरे धीरे विविधता भी आ जाएगी। आपके आत्मीय सुझाव का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2016 at 2:55pm
आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभार।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2016 at 11:41am

अच्छा प्रयास है...सारे शेर एक ही तरक़ीब के होने से विविधतता कम है.
विविधता लाने से ग़ज़ल निखर के सामने आएगी..
सादर 

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