For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

तपकर लोहा आग में, बन जाता फौलाद,|

मात-पिता की आँच में, संस्कारी औलाद |

संस्कारी औलाद, प्रगति में हाथ बँटाते

करते जो पुरुषार्थ, काम से कब घबराते

कह लक्ष्मण कविराय,युवक ले शिक्षा जमकर

सक्षम और कुशाग्र, बने गुरुकुल में तपकर  |

 

सुनकर लंबित फैसला, विधवा हुई निढाल

दुख सहते वादी मरा, घर का खस्ता हाल |

घर का खस्ता हाल, हुई जब पेंशन लंबित

सुनने हक़ में न्याय, हुआ न वहाँ उपस्थित

लक्ष्मण माँगे न्याय, परिस्थिति हो जब दुखकर

मिले देर से जीत, दुखी वह होता सुनकर || 

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2016 at 12:23pm

बहुत  बहुत आप्भार आदरनीय सौरभ पाण्डेय जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2016 at 12:22pm

हार्दिक  आभार आपका श्री अशोक कुमर रक्ताले जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2016 at 12:21pm

हार्दिक  आभार श्री  रामबली गुप्ता जी | ना की जगह न  टंकण त्रुटी वश हो गया | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 3:51pm

बहुत खूब आदरणीय लक्ष्मण भाईजी. संदेशपरक तथा घटना प्रधान छन्दों केलिए हार्दिक धन्यवाद. 

आदरणीय रामबली गुप्ता जी का सुझाव अनुमन्य है,आदरणीय

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 30, 2016 at 2:50pm

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर, सुंदर कुण्डलिया छंद रचे हैं. बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी प्रथम छंद में "संस्कारी औलाद, प्रगति में हाथ बँटाते" इस पंक्ति को एक बार पुनः देख लें. सादर.

Comment by रामबली गुप्ता on April 28, 2016 at 7:32pm
बहुत ही सुंदर कुण्डलियाँ बन पड़ी हैं आदरणीय सादर बधाई स्वीकार करें। दूसरी कुण्डलिया के चौथी लाइन में 'न' को 'ना' बना लीजिये। एक मात्रा कम हो रहा है।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 28, 2016 at 11:48am

जी  | टंकण त्रुटि हो  गई | सुधार करता  हूँ  | छंद  सराहने के लिए सादर आभार आदरणीय सुशील सरना जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 28, 2016 at 11:46am

हार्दिक  आभार श्री  श्याम नारायण वर्मा  जी  

Comment by Sushil Sarna on April 27, 2016 at 7:52pm

आदरणीय बहुत सुंदर संदेशपरक कुण्डलिया का सृजन हुआ है। प्रथम कुण्डलिया की दूसरी पंक्ति के अंत में औलाद के स्थान पर आलाद टंकित हो गया है शायद टंकण त्रुटि है। कृपया देख लें।  इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सर। 

Comment by Shyam Narain Verma on April 27, 2016 at 4:14pm
बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
23 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
23 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाईसुशील जी, अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  इसकी मौन झंकार -इस खंड में…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा पंचक. . . .  जीवन  एक संघर्ष जब तक तन में श्वास है, करे जिंदगी जंग ।कदम - कदम…"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"उत्तम प्रस्तुति आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा अष्टक***हर पथ जब आसान हो, क्या जीवन संघर्ष।लड़-भिड़कर ही कष्ट से, मिलता है उत्कर्ष।।*सहनशील बन…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service