चुप्पी में
कई चीखते हुए सवाल हैं
शायद
जिनके उत्तर
किसी भी पोथी
किसी भी दिग्ग्दर्शिका
किसी भी धर्मग्रन्थ
में नहीं हैं
अगर रहे भी हों तो
उन्हें मिटा दिया गया है
हमेसा हमेसा के लिए
ताकि
इन चुप्पियों से
कोई आवाज़ न उठे
चुप कराने वालों के ख़िलाफ़
मुकेश इलाहबदी --------
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
rachna pasandgee aur is hausla aafzaee ke liye bahut bahtu shukriaa Kanta Roy jee
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