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हम कैसे भुला दें जहन से, भोपाल कांड को ....!!!

हम कैसे भुला दें जहन से, भोपाल कांड को ,
जिसने हिला के रख दिया ,पूरे ब्रह्माण्ड को ॥

भोपाल मे इंसानी लाशों के, अम्बार लगे थे ,
बुझ गए जीवन दिए जो, अभी-अभी जगे थे ॥

कोई किसी का ,कोई किसी का ,रिश्ता मर गया ,
जिंदगी समेटने की कोशिश मे ,सब कुछ बिखर गया ॥

जिनकी आँखों की गयी रौशनी , जीने की भूख गयी ,
खिली हुई कुछ उजड़ी कोखें , कुछ कोखें पहले सूख गयी ॥

सालों बाद स्मृत पटल पर, यादें धुंधली नही हुई हैं ,
भयावह मंजर से अब भी '' उसकी आँखें खुली हुई हैं''॥

इन्हें न्याय की दहलीज से,बस तिरस्कार मिला ,
कैसे -कैसे मिली हमदर्दी ,कैसा ''राज-सत्कार मिला ॥

कौन सहलाये इन मजलूमों की ,तन मन की चोटों को ,
गिनने मे रहीं व्यस्त -सरकारे ,लाशों और वोटों को ॥

सब दलों के नेता देख रहे हैं ,इसे राजनीति के दर्शन मे ,
जब की कोई फर्क नही है ''अफजल ''कसाब 'और ANDERSON मे ॥

अगर ''कमलेश '' नही न्याय -सुरक्षा पूरा सरकार करेगी ,
क्या फिर कहीं दूसरे, भोपाल -कांड का इंतजार करेगी ॥

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Comment by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on June 24, 2010 at 9:06pm
AAPKI HAUSLA AFJAYEE KE LIYE KAMLESH ..DIL SE MASKOOR HAI ...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 16, 2010 at 7:27pm
सालों बाद स्मृत पटल पर, यादें धुंधली नही हुई हैं ,
भयावह मंजर से अब भी '' उसकी आँखें खुली हुई हैं''॥

कमलेश भईया आपने तो कलम तोड़ रचना लिख डाला है, झकझोर के रख दिया है, पूरा मंज़र आखो के सामने दिखने लग रहा है, बहुत बढ़िया रचना, बधाई आपको,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 16, 2010 at 6:31pm
भोपाल गैस त्रासदी, न्याय दिलवाओ, एंडरसन को बुलाओ, कहाँ गए अर्जुन सिंह?........................अनगिनत सवालात........ऐसा लगता है सब को यही उम्मीद थी की एंडरसन खुद ब खुद आके बोलेगा लो भैया हम आ गए है.....अब दे दो हमें सजा............सबको यही उम्मीद थी की न्यायालय कुछ...... उम्र कैद............... या..................२५-३० साल की कैद...............या फांसी जैसी सजा सुनाएगा.... अब नहीं हुआ तो विरोध कर रहे हैं. यह तो सब को पहले से ही पता था की ना तो हम एंडरसन को वापस ला सकते हैं और ना ही कमज़ोर धाराओं के चलते कोर्ट कोई कड़ी सजा सुना सकता है..................२६ सालों से शांत पड़े मीडिया और सरकार को अब होश आ रहा है..... जैसे कि सब कुछ परदे के पीछे हो रहा हो ........................................................................................................................... भाई साहब ये हिंदुस्तान है जब सांप निकल जाता है तब लाठी पीटने की हमारी पुरानी आदत है...अब वह तो हम बदल नहीं सकते हैं.......................... संसद में एक और भोपाल कि तैयारी हो चुकी है ................(Nuclear accident civil liability bill) सिविल लायबिलिटी बिल लाने को सरकार पूरी तरह तैयार बैठी है...............भैया अब चाहे गैस सूंघ के मरो या रेडियेशन से मरो ...........मरना तो हमको ही है......................
Comment by Admin on June 16, 2010 at 4:24pm
कौन सहलाये इन मजलूमों की ,तन मन की चोटों को ,
गिनने मे रहीं व्यस्त -सरकारे ,लाशों और वोटों को ॥

कमलेश जी, आप बिलकुल दुरुस्त फ़रमा रहे है, ये तो असंवेदनशीलता की परकाष्ठा है, चाहे कोई भी दुर्घटना हो, सरकार केवल राजनितिक लाभ हानि के चश्मे से प्रत्येक घटना को देखती है, अभी हाल मे हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना इसका गवाह है, जितने लोग उतने किस्म का बयान , हद है भाई, कोई सच बोलना नहीं चाहता , सभी अपना अपना दामन बचाने मे लगे हुये है ,
पुरी की पुरी कविता दर्द से भरी हुई है, आप जो कहना चाहते है वो यह कविता चीत्कार कर रही है, बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति है, पूरे शरीर को झंकृत कर दे रही है, इस रचना पर बधाई स्वीकार करे,

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 16, 2010 at 3:23pm
बहुत ही मार्मिक शब्दाभिव्यक्ति है कमलेश जी ! भोपाल की छलनी हो चुकी आत्मा का बहुत ही हृदय विदारक चित्रण है ! आज इतने भी बरसों के बाद भी हजारों प्रश्न उत्तर की प्रतीक्षा में मुँह बाये खडे हैं ! इस सारगर्भित रचना के लिए आप बधाई के पात्र हैं !
Comment by satish mapatpuri on June 16, 2010 at 12:50pm
कौन सहलाये इन मजलूमों की ,तन मन की चोटों को ,
गिनने मे रहीं व्यस्त -सरकारे ,लाशों और वोटों को ॥
आपकी चिंता वाजिब है कमलेश जी, दिल को झकझोर देने वाली है आपकी यह रचना, धन्यवाद.
Comment by दुष्यंत सेवक on June 16, 2010 at 11:52am
nishchay hi ankhe khol dene wali rachna hai, bhopal kaand hamari vyavastha ki nangai aur gori chamdi ke aage hamare ghutne tekne ki hamari aadatan bhayavah beemari ki jwalant misal hai. kahte hai ki gadhe murde ukhadane se kuch nahi hota lekin is vishay me poore bharat me yah aag lagi hai ki gadhe murde ukhade jayen aur nyay ki aas paale baithe prabhaviton ko shighra uchit "nyay" mile......ek sarthak rachna ke liye badhai aur dhanyavaad

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