For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

152
कवच और कुण्डल
---------------------- 
संसार  के जीर्णतम प्राणी से भी भयाक्रान्त वह,
जीवन सम्हाले है क्यों कि ,
उसके वक्षस्थल पर दुर्भाग्य का कवच 
और कानों में विपन्नता के बाले हैं।
तिरस्कार ,घृणा और उपहास का,
जन्मजात.....
साम्राज्य पाकर भी,
अपनत्व की , कुछ  साॅंसों की आस पाले है।
ग्रीष्म, वर्षा और शीत का मनमीत
अंतहीन अंबर है घर का छत जिसका...
अनुपम विधाता की कृतियों का साक्षी
उसे भर पेट भोजन के लाले हैं।
कपट, दंभ और लूट के अंतरंग अनुभव
वसुधा के हर कोने, प्रति दिन देते हैं।
निराशा  की क्रन्दनमय तमपूर्ण रात्रि में
नभ में भटकते  नक्षत्रों के उजाले हैं।
अपूर्णता, असंतोष और आशा  निराशा  के द्वन्द्वों में
निर्माण, पालन, और संहार साथ साथ चलते हैं,
ए नियामक! तेरे खेल कितने निराले हैं!! 
------
मौलिक और अप्रकाशित 
9 अप्रेल 1998

Views: 839

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 8, 2016 at 4:17pm
सुंदर ;सारगर्भित एवं सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 3, 2016 at 4:23pm

बड़ी ही सारगर्भित रचना है आदरणीय

Comment by Dr T R Sukul on February 20, 2016 at 11:51am

रचना पर अपने मनोभाव प्रकट करने के लिए बहुत धन्यवाद आद. Chhaya Shukla ji

Comment by Chhaya Shukla on February 17, 2016 at 9:02pm

हार्दिक बधाई आदरणीय जीवन का अनुभव सुंदर तत्सम शब्दों में लय बद्ध हुआ है | अनुभव की टीस सहज ही महसूस हो पा रही है |
पुनः बधाई !
सादर नमन !

Comment by Dr T R Sukul on February 10, 2016 at 4:22pm

आदरणीय महोदय योगराज प्रभाकर जी ! रचना पर आपका स्नेहिल अनुमोदन पाकर गदगद हो उठा।  विनम्र आभार।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on February 10, 2016 at 11:11am

बहुत ही अर्थगर्भित और प्रभावोत्पादक काव्य कृति है आ० डॉ टी आर सुकुल जी, हार्दिक बधाई निवेदित हैI  

Comment by Dr T R Sukul on January 28, 2016 at 3:05pm

सादर  धन्यवाद महोदय। 

Comment by Hem Chandra Jha on January 28, 2016 at 12:05pm

भावपूर्ण एवं सार्थक सृजन के लिए बधाई हो आदरणीय

Comment by Dr T R Sukul on January 28, 2016 at 11:36am

रचना को मान देने के लिए बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 28, 2016 at 12:29am

आदरणीय टी आर शुक्ल जी, बहुत ही प्रभावकारी भावाभिव्यक्ति हुई है इस रचना में. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service