For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-मुझे फिर लगे आज तानों के पत्थर।

१२२ १२२ १२२ १२२

मुझे फिर लगे आज तानों के पत्थर।
कई बद से बदतर जुबानों के पत्थर।

ग़ज़ल के ये लहजे नये है, जवां है।
न समझो इन्हें तुम ढलानों के पत्थर।

जिन्हें कब्र पर शाह की रख गये तुम।
वे पत्थर है मुफलिस मकानों के पत्थर।

खता आज ऐसी हुई है कि मुझको।
लगेंगे हजारों जमानों के पत्थर।

समझता नहीं चाल उसकी कभी वो।
पडे है जहन पर गुमानों के पत्थर।

बहुत दर्द था रात आहों में उनकी।
उठा ले गये वो दुकानों के पत्थर।

मकाने मुहब्बत अभी तक अधूरा।
उठा लो चलो कुछ ईमानों के पत्थर।

उसे वस्ल के लफ्ज से सख्त नफरत।
मुझे हिज्र जैसे विरानों के पत्थर।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 770

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on March 7, 2016 at 10:25pm
आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी शुक्रिया
Comment by Rahul Dangi Panchal on March 7, 2016 at 10:24pm
आदरणीया kanta roy जी शुक्रिया
Comment by Rahul Dangi Panchal on March 7, 2016 at 10:23pm
आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी शुक्रिया
Comment by Rahul Dangi Panchal on March 7, 2016 at 10:23pm
आदरणीय मदन जी शुक्रिया
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 7, 2016 at 9:37pm
बहुत ख़ूब।बधाई आदरणीय डांगी जी
Comment by Madan Mohan saxena on February 25, 2016 at 5:37pm

वाह ! बहुत खूब,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by kanta roy on February 23, 2016 at 9:51am
वाह ! बहुत खूब गजल कही है आपने आदरणीय राहुल दाँगी जी । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 29, 2016 at 2:31pm

बेहतरीन ..भाई राहुल जी ..आज इस शानदार ग़ज़ल के लिए  ह्रदय से बधाई सादर 

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 29, 2016 at 12:35pm
आदरणीय रवि शुक्ला जी शुक्रिया
Comment by Rahul Dangi Panchal on January 29, 2016 at 12:34pm
आदरणीय तेजवीर जी शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service