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yeh meri pahli gazal hai is site par..... saath he saath jeeven me pahli baar ghazal likhne ki koshish ki hai aap sabhi ke sujhav amantrit hain




हाय मेरी मोहब्बत मोहब्बत ना रही.... यह तो अब एक फसाना हो गया............
रात ही तो आया था वो ख्वाब मे.... पर लगता है उससे मिले एक ज़माना हो गया

मुझे दिलासे दे देकर मुझसे भी ज़्यादा रोए हैं मेरी आँखो के आँसू.........
लगता है मेरा रोना उसके मुस्कुराने का बहाना हो गया...............................

हर जगह हर सूरत मे मुझे वो ही वो नज़र आता है हर दम......
मेरे ज़रूरी कामों मे शामिल हवा मे उसकी तस्वीर बनाना हो गया.......

मेरे घर की टपकती छत और कमरों की उड़ती रंगिनियत याद दिलाती हैं मुझे........
पल्लव तेरा यह छोटा सा घर अब बहुत पुराना हो गया.............

हर रोज़ बिकता हुआ देखता हूँ में दिलों को दुनिया क बाज़ार मे ...........
आम आज कल यहाँ इश्क़ की बोली लगाना हो गया.................


पल्लव

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Comment

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Comment by Pallav Pancholi on June 17, 2010 at 11:29pm
ravi ji dhanywad
Comment by Rash Bihari Ravi on June 17, 2010 at 4:50pm
bahut sunder
Comment by Pallav Pancholi on June 16, 2010 at 11:30pm
सतीश जी..... धन्यवाद
Comment by Pallav Pancholi on June 16, 2010 at 11:29pm
दुष्यंत जी आभार
Comment by Pallav Pancholi on June 16, 2010 at 11:29pm
रजनी जी ....... धन्यवाद... आपका आशीर्वाद बना रहे
Comment by Pallav Pancholi on June 16, 2010 at 11:26pm
गणेश जी आपका बहुत बहुत आभार..... आपकी आशाओं पर पूरा उतरने की कोशिश करूँगा
Comment by Pallav Pancholi on June 16, 2010 at 11:25pm
प्रभाकर जी.... धन्यवाद आपके परामश के लिए.... मैं उसे ज़रूर ध्यान रखूँगा... पुनः प्रशंसा हेतु आभार
Comment by satish mapatpuri on June 16, 2010 at 12:55pm
हर रोज़ बिकता हुआ देखता हूँ में दिलों को दुनिया क बाज़ार मे ...........
आम आज कल यहाँ इश्क़ की बोली लगाना हो गया.................
पल्लव जी, धन्यवाद. अच्छी रचना है. प्रभाकर जी के गुरुवत परामर्श पर जरुर गौर कीजिएगा.
Comment by दुष्यंत सेवक on June 16, 2010 at 11:56am
हर रोज़ बिकता हुआ देखता हूँ में दिलों को दुनिया क बाज़ार मे ...........
आम आज कल यहाँ इश्क़ की बोली लगाना हो गया.................

yogi sir se main rabta rakhta hu......halanki ham sab yaha seekhne ke liye hi aaye hain, prayas behtareen hai bas meter main baith jaaye. pallav ji pahli rachna ke liye badhai sweekaren. yogi sir ki aur anya sathiyo ki rachnao ko bhi padhiye. achche achchhe shayaro ko padhiye is chingaari ko jwala banaiye ....shubhkamnayen.....
Comment by rajni chhabra on June 16, 2010 at 9:04am
pyar ki gehrai se labrez,aapki gazal achi lagi,aur bhi likhte rahiyega

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