For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे गाँव के जाड़े की रात

सब कुछ शांत है...मौन | दो छूहों पर टिकी छप्पर वाली दालान में रजाई ओढ़े हुए मैं इस सन्नाटे की आवाज़ सुनने की कोशिश करता हूँ | इस रजाई की रुई एक तरफ को खिसक गयी है; लिहाज़ा जिस तरफ रुई कम है उस तरफ से सिहरन बढ़ जाती है | हल्का सा सर बाहर निकालता हूँ तो तैरते हुए बादल दीखते हैं; कोहरा है ये जो रिस रहा है धरती की छाती पर | छूहे की खूँटी पर टंगी लालटेन अब भी जल रही है...हौले हौले | अम्मा देखेंगी तो गुस्सा होंगी; मिटटी का तेल जो नहीं मिल पाता है गाँव में....दो घंटों तक खड़ा रहा था कल, तब जाकर तीन लीटर तेल मिल पाया था | मुझे याद है बचपन में पिताजी हमेशा गाँव आने के समय मिटटी का तेल साथ लाते थे; तब मैं हँसता था | माँ डांटा करती; गाँव में तुम्हारी अम्मा को तेल नहीं मिल पाता, इसलिए ले जाते हैं यहाँ से, पर लालटेन इन सब बातों से बेखबर इस जाड़े में अब भी जल रही है...और मिटटी का तेल हलके काले धुंए की शक्ल में कोहरे से मिलता जा रहा है |

मैं उठकर लालटेन बुझा देता हूँ, ज़रा भी आत्मीयता के बगैर; जैसे रात में दो घंटे उस की रोशनी में किताब पढना मेरा हक़ था, मेरी ज़रूरत नहीं | थोड़ी ही दूर खटिया पर अम्मा लेटी हैं; तीन कथरियाँ ओढ़े हुए...या शायद चार | सत्तर बरस की ये महिला मेरी माँ की बड़ी बहिन है और मेरे पिताजी की भौजी भी; इक्कीस की अवस्था में विधवा हुई अम्मा ने न जाने ऐसी कितनी ही रातें देखी हैं...उनके लिए ये एक और रात के अलावा कुछ नहीं |


अचानक सियार बोलने लगते हैं...हुक्की हुआन, हुक्की हुआन ! गर्मियों में ये सारी रात बोलते हैं पर जाड़ों में अक्सर ये बिलों में घुसे रहते हैं | पुराने इनारे (कुआं) के पास के बाग़ में ये बांसों की कोठ में रहते हैं; ऐसा भ्रम मुझे सदा रहा क्योंकि आवाजें वहीँ से आती हैं | रोज़ शाम को इस इनारे से एक बाल्टी पानी घर में आता था क्योंकि और कहीं के पानी से दाल नहीं पकती, अब फिर से सन्नाटा है ...

कोने में मोतिया भी दुबका पड़ा है; ऐसे कितने ही कुकुर मैंने इस घर में आते जाते देखे हैं | रात को खाने के समय मोतिया बिलकुल पास बैठ जाता था...लगभग चौके में ही; पर अम्मा कुछ नहीं कहती, न उसे भगाती न पुचकारती; और यदि मैं दुत्कार देता तो भी कुछ नहीं बोलती | उन्हें पता है की मोतिया कहीं नहीं जाएगा...ये उनके साथी हैं; उनके अकेलेपन के | मुझे कभी कभी लगता है कि अम्मा ज़रूर उससे लिपट कर रोती होंगी | अचानक पट्टीदार के घर से भौंकने की आवाज़ आती है; मोतिया तुरंत उठता है और सरपट भाग निकलता है आवाज़ की ओर | गाँव के सभी कुत्तों में घनिष्ट एकता है...गाँव के लोगों के विपरीत, भौंकने की आवाजें बढ़ गयी हैं, पर अम्मा अब भी बेफिक्र मुहं ढक कर सोयी हुई हैं | पड़ोस का बूढ़ा पहलवान ज़ोर से लाठी ज़मीन पर पटकता है और गरियाता है; तोहरी माई की........और भौंकना आश्चर्यजनक रूप से बंद हो जाता है | सभी कुत्ते गालियों को समझते हैं यहाँ |

मोतिया वापस आ गया है, अपनी जगह पर जाड़े से लड़ने के लिए, जाड़े से लड़ना मुझे अच्छा लगता है; कोने में दुबकी बिल्ली, पेट में मुहं छुपाये कुत्ता, सिकुड़ी सिमटी नारी, या पुरुष कोटधारी; जब भी कोई जाड़े से लड़ता है, मुझे अच्छा लगता है | कोहरा अब भी रिस रहा है; और सुबह जब हम अपने शरीर को फैलायेंगे तो इस कोहरे को अपलक देखते रहेंगे, कैसे इकट्ठा होता रहा ये रात भर जब हमने अपने शरीर उन कथरियों में सिकोड़ रखे थे | अब फिर सब मौन है...न सियार बोल रहे हैं न ही कुत्ते भौंकते हैं | एक रात और सरक रही है अहिस्ता से इन खेतों पर, इनके मेड़ों पर, इन बागों से, इनारों से होते हुए, खलिहानों से, इन लोगों के घरों से और उनमे लटकी लालटेनों से |

ये मेरे गाँव की जाड़े की एक रात है; ठंडी और लिसलिसी, इसमें जीवन सोता है, पर चलता रहता है.....

-------मेरे एक संस्मरण से ...

Views: 473

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by neeraj tripathi on April 26, 2011 at 10:04am
dhanyavaad bagiji aur vandana ji

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 21, 2011 at 8:46pm
नीरज जी, संस्मरण अच्छे लगे, खास कर आंचलिक शब्दों का प्रयोग जैसे इनार , कथरी, छुहा , पट्टीदार आदि , सुंदर शैली , आभार |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय गिरीराज जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका  सादर "
49 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित जी  बहुत शुक्रिया आपका समझाने के लिए कोशिश करती हूँ फिर से सुधार…"
50 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय भाई, //निगाह डाल दे अपनी नशे को है ये बहुत ए साक़ी जाम में मेरे शराब भी न मिला// नज़र…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । मुझे तो कलों के हिसाब से सही लग…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय नीलेश भाई, आप हमेशा से इस मंच के चुनिंदा उत्तम रचनाकारों में रहें हैं। आप की प्रतिभा, समझ,…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. गिरिराज जी लम्बे अंतराल के बाद आपकी उपस्थिति मंच को नई उर्जा दे रही है.अमित जी के सुझाव…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. गिरिराज सर,आपको यहाँ देख कर अत्यंत हर्ष हो रहा है. शायद अब OBO के पुराने दिन लौट आएं..बहुत बहुत…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद आ. मयंक जी "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद आ. अमित जी मुहब्बत को मैं मुहब्बत हो लिखूँगा क्यूँ कि देवनागरी में ऐसे ही लिखा जाता…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service