For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फसल [ कविता अतुकांत ]

मेरी बेटी ने गमले में

लॉलिपॉप बो दिया हैI

खुद को पूरा भिगो कर

पानी भी देती है

मिठास की लहलहाती फसल का

इंतज़ार कर रही है I

पगली ने उस दिन

कागज़ का तिरंगा भी बो दिया था

कि  ढेर सारे तिरंगे 

ढेर सारा देश प्रेम उगेगा I

बच्चों की बातें  हैं 

ऐसी ही बेतुकी  ,नासमझ I

हम तो बड़े हैं ,समझदार हैं

हम थोड़ी करते हैं विश्वास 

इन बातों पर ,हैं ना ?

मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on November 24, 2015 at 10:50pm

रचना पर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 23, 2015 at 6:59pm

अत्यंत सान्द्र प्रस्तुति केलिए हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीय प्रतिभाजी. सही कहूँ तो बहुत दिनों बाद मंच पर इतनी गहन रचना आयी है और मैं उससे गुजर रहा हूँ. लाक्षणिकता का इतना सार्थक प्रयोग हुआ है कि यह रचना एकदम से चकित करती हुई हृदय में बस जाती है.  आपकी अभिव्यक्तियों से हम एक-एक कर गुजर रहे हैं, मानों ये हमें अपने में गहरे उतरने की आवाज़ लगा रही हों. 

आप प्रयासरत रहें, आदरणीया प्रतिभाजी. आपका सतत प्रयास आपकी अभिव्यक्तियों की सहजता और स्पष्टता का कारण बनता जायेगा.  

अलबत्ता, बेतुकि   को बेतुकी कर लें 

हार्दिक शुभकामनाएँ  

Comment by pratibha pande on November 23, 2015 at 4:36pm

आदरणीय मिथिलेश जी ,सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका , 'बेतुकि? क्या ये शब्द सही नहीं ?

Comment by pratibha pande on November 23, 2015 at 4:33pm

आदरणीय श्याम नारायण जी ,उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by pratibha pande on November 23, 2015 at 4:32pm

आदरणीय सतविंदर जी रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 23, 2015 at 3:35pm

शानदार कविता. कथ्य का मर्म जिस सघनता से शाब्दिक हुआ है, बस दिमाग झन्ना गया है. बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर आपको आदरणीया प्रतिभा जी. 

'बेतुकि?'

Comment by Shyam Narain Verma on November 20, 2015 at 3:40pm
बहुत ही सूंदर प्रस्तुति , हार्दिक बधाई आपको ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 19, 2015 at 8:16pm
बहुत भावपूर्ण एवम् सुंदर रचना ।हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service