For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाने क्यों तेरी याद आती.

अम्बर के वातायन से जब चाँद झांकता है भू पर, .
जाने दिल में क्यों हूक उठती - जाने क्यों तेरी याद आती.
स्वप्न संग कोमल शैय्या पर जब सारी दुनिया सोती.
किसी आम्र की सुघर शाख से कोकिल जब रसगान छेड़ती.
पागल पवन गवाक्ष- राह से ज्योंही आकर सहलाता,
तेरे सहलाए अंगों में जाने क्यों टीस उभर आती.
जाने दिल में क्यों हूक उठती- जाने क्यों तेरी याद आती.
बीते हुए पल का बिम्ब देख रजनी की गहरी आँखों में.
एक दर्द भयानक उठता है दिल पर बने हुए घावों में.
घावों से यादों का मवाद जब बहकर बसन भिंगोता है,
तब सारा बदन सिहर उठता जाने क्यों साँसें थम जाती.
जाने दिल में क्यों हूक उठती - जाने क्यों तेरी याद आती.
खुद से बढ़कर तुमको चाहा प्राणों से बढ़कर प्यार किया.
तेरी नज़रों में शायद यह मैनें अक्षम्य अपराध किया.
गलत मोड़ पर कौन मुड़ा पुरी जब सोचा करता है.
निर्णय लेने से पहले ही जाने क्यों आँखें भर आती.
जाने दिल में क्यों हूक उठती - जाने क्यों तेरी याद आती.
गीतकार- सतीश मापतपुरी
मोबाइल - 9334414611

Views: 483

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 19, 2010 at 4:51pm
//स्वप्न संग कोमल शैय्या पर जब सारी दुनिया सोती.
किसी आम्र की सुघर शाख से कोकिल जब रसगान छेड़ती//
एक बार पुन: आपने बेहतरीन प्रस्तुति दी है , .धन्यवाद स्वीकार करे ,
Comment by दुष्यंत सेवक on June 16, 2010 at 12:13pm
अम्बर के वातायन से जब चाँद झांकता है भू पर, .
जाने दिल में क्यों हूक उठती - जाने क्यों तेरी याद आती.
स्वप्न संग कोमल शैय्या पर जब सारी दुनिया सोती.
किसी आम्र की सुघर शाख से कोकिल जब रसगान छेड़ती

कभी जब सावन मे रिमझिम वो काली बदली छाएगी, कभी जब आम के पेड़ों पर कोयल गुनगुनाएगी, यक़ीनन उस घड़ी तुमको मेरी ही याद आएगी.....आपके इसी मतले पर कुछ मैने भी कभी ऐसा लिखा था.
बहरहाल इस हुक ने वाकई मे दिल की गहराइयों को छू लिया है....धन्यवाद इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए
Comment by Admin on June 16, 2010 at 8:15am
बहुत बढ़िया मापतपुरी जी , एक बार पुन: आपने अच्छी रचना दी है , बधाई स्वीकार करे ,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 14, 2010 at 10:11pm
bahut sundar!!!! kai gajah apne sundar upmayen bhi di hai... hats off!!!..........sundar likhne ke liye badhai.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 14, 2010 at 9:07pm
खुद से बढ़कर तुमको चाहा प्राणों से बढ़कर प्यार किया.
तेरी नज़रों में शायद यह मैनें अक्षम्य अपराध किया.


वाह सतीश भईया वाह, ईतना दर्द,
कहा छुपाये बैठे थे,
ये दर्द की गहरी सागर को,
हवा न लगने दिया किसी को,
समेटे रहे गम के बादल को,

bahut bahut badhai ees rachna key liyey, Dhanyabad swikar karey sriman,
Comment by Kanchan Pandey on June 14, 2010 at 8:45pm
Pahley ki tarah hi ek baar phir achhi rachna hai, mapatpuri jee ko badhai,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
37 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
42 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
19 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service