For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँदी के बटन ( लघु कथा )

सुनार की दुकान में बैठी नीलिमा अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी।कि 75- 78 वर्ष के बुजुर्ग पर ध्यान चला गया।
" आओ -आओ आज़ क्या बनवा रहे हो अपनी बुढ़िया के लिए।" सुनार मोती लाल ने कहा।
ज़ेब से सुंदर चाँदी के बटन निकाल बुजुर्ग बोले , " इनमें चाँदी के घुंघुरू लगा दो।"
" आहा बुबू जी ! कितने सुंदर हैं ये ; कहाँ से बनवाये ? " नीलिमा ने उनको बैठने की ज़गह देते हए पूछा।

"चेली ! ये असली चाँदी नहीं है। नकली बटन हैं "
"अरे , तो फ़िर इनमें असली चाँदी के घुंघुरू क्यों लगवा रहे हैं।?"

" लम्बी कहानी है चेली ! - मेरा ब्याह 11 वर्ष की उम्र में हुआ।छुइ-मुई गुड़िया सी दुल्हन थी 9 बरस की।एक साथ खेलते,रूठते-मनाते थे। एक दिन मैँ मेले जा रहा था तो बोली " लौटते हुए मेरे लिए चाँदी के बटन ला देना ।कुरती में लगाऊंगी।पर मैं आश्रित कहाँ से लाता।"

" धीरे-धीरे समय गुज़रता रहा। घर -परिवार की ज़िम्मेदारी फ़िर बच्चों की ज़रूरतें , ज़ेब हमेशा खाली रही।"
"ओह , आज़ वो खुश हो जाएँगी?" नीलिमा ने कहा।
"हाँ , न जाने कितने दिन का और साथ है हमारा "कहते हुए उनकी आँखे सज़ल हो उठी।

"मेरे दिल में वर्षों से ये घुंघरू कसक बनकर छनक रहे थे, आज़ बाज़ार में एक कश्मीरी बेच रहा था खरीद लिए , सोचा खुश हो जायेगी।वो क्या जाने असली क्या और नकली क्या।" उसके लिए तो ये चाँदी के बटन होंगें सोचा इनमें कुछ तो असली हो ।ये कह उन्होंने भीगी आँखे फेर ली।

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 726

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 4, 2015 at 9:39am
बहुत ही सुंदर व नवीन कथानक के साथ कथ्य का भाव पूर्ण निर्वहन करती अनुपम कृति के लिए तहे दिल बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीया जानकी वाही जी ।
Comment by pratibha pande on November 4, 2015 at 8:23am

मन मोह लिया आपकी कहानी ने जानकी जी , शब्द नहीं हैं तारीफ को ,हार्दिक बधाई.   बेटी को चेली तो उत्तराखंड में कहते हैं,,क्या वो ही भाव हैं ? 

Comment by Janki wahie on November 4, 2015 at 6:43am
तहे दिल से शुक्रिया प्रिय राहिला जी।
Comment by Rahila on November 3, 2015 at 8:41pm
बहुत सुन्दर रचना प्रिय जानकी दी! आंखों के सामने चलचित्र सी घूम गई। बहुत कम होंगें ऐसे लोग जो उम्र के इस पडाव पर अपने हमसफर का यूं ख्याल रखते होंगें।बहुत बधाई आपको दी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service