For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है हरा पीपल अभी जो....

है हरा पीपल
बहर:- 2122-2122-2122-212

है हरा पीपल अभी जो जिंदगी है आप की
कुछ कही कुछ अनकही बातें लिखी है आप की

प्रेम की तब छांव लेने को जहा थे बैठते
वो तसब्बुर वो अदाये कीमती है आप की

लोक नजरों से बचा कर जो भिजाये थे कभी
उन गुलाबों में अभी खुसबू वही है आप की

वो दुपट्टे का झटकना वो सदाये प्यार की
लफ्ज का ठिठकाव् न्यारा सादगी है आप की

(है पुरानी गर्त लिपटी कुछ किताबे वही)
कुछ पुरानी गर्त लिपटी उन किताबों में वही
वो गुलाबी कागची चिट्ठी छिपी है आप की

मुद्दतों से राह ज्योते आँख भर आई जो है
जो मेरी नजरें है प्यासी आशकी है आप की

मौलिक /अप्रकाशित

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Shukla on November 2, 2015 at 3:18pm

आदरणीय आमाेद जी  बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है बधाई स्‍वीकार करें  मेरी विनम्र राय के अनुसार इस ग़ज़ल में का क‍ाफिया और है आप की रदीफ हो रही है  इस लिहाज से मतले के उला में   जिंदगी है एक वचन और सानी मे  लिखी हैं बहुवचन हो रहा है इसी प्रकार आगे के शेर में कुछ जगह ऐसा है । इनको और टंकण की कुछ त्रुटियों को और सुधार ले तो क्‍या खूब बयान हो जाएगा ये रुक्‍न है ही ऐसा

वो दुपट्टे का झटकना वो सदाये प्यार की
लफ्ज का ठिठकाव् न्यारा सादगी है आप की ... इस शेर के भाव को महसूस ही किया जा सकता है क्‍या बात है आमोद जी  बढि़या ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 2, 2015 at 10:33am
मैंने इस गजल पर दो रदीफ़ दिए थे
अभी तक इंतजार में हु कौन सा ठीक है।
आप की===या==प्यार की
Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 2, 2015 at 10:31am
आ मिथलेश जी । आ शिज्ज्जू सर।। आ अजय सर्मा सर।। आप सभी को नमन
आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 1, 2015 at 9:42pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है आदरणीय आमोदजी हार्दिक बधाई. आदरणीय शिज्जु जी कि बात पर गौर कीजियेगा.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 1, 2015 at 7:28pm
बहुत बढ़िया आदरणीय आमोदजी कुछ जगहों पर टंकण त्रुटि है सही कर लें, पुन: ग़ज़ल हेतु बधाई
Comment by Ajay Kumar Sharma on November 1, 2015 at 2:43pm

लाजवाब ।।। आमोद जी मनमोहक रचना है।

कुछ पुरानी गर्त लिपटी ........चिट्ठी छिपी है आपकी। बेहतरीन पंक्तियां । बधाई।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 1, 2015 at 12:30pm
कांता दीदी उत्साह वर्धन के लिए आप को सादर नमन आभार
Comment by kanta roy on November 1, 2015 at 12:09pm

है हरा पीपल अभी जो जिंदगी है आप की
कुछ कही कुछ अनकही बातें लिखी है आप की----वाह !!! बहुत ही गहरी शेर बनी है। लाज़वाब !!

प्रेम की तब छांव लेने को जहा थे बैठते
वो तसब्बुर वो अदाये कीमती है आप की------ क्या कहने है ,बेहतरीन !!!!
ढेरों बधाई आपको आदरणीय अमोद जी।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 1, 2015 at 11:40am
रदीफ प्यार की अथवा आप की जो पाठक को अछि लगे नमन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service