For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मगर मज़ा ही कहाँ है अगर न तू शामिल (गिरिराज भंडारी )

1212    1122    1212    22  /112

तेरे खतों में  रहा यूँ तो रंगो बू शामिल

मगर मज़ा ही कहाँ है अगर न तू शामिल

 

मुझे अधूरी किसी चीज़ की नहीं हाजत

मेरी हयात में हो जा तू हू ब हू शामिल

 

बिन आरज़ू भी कभी ज़िन्दगी कटी है कहीं

तू कर ले ज़िन्दगी में मेरी आरजू शामिल

 

किसी की याद भी तनहाइयों का दरमाँ है

किसी की याद की कर ले तू ज़ुस्तजू शामिल

 

झिझक नहीं , न जमाने से डर मेरे यारा

तू आ के सामने सब के हो रू ब रू शामिल

 

भुलाना इतना भी आसाँ नहीं है यादों को

है तेरी याद मेरे दिल के कू ब कू शामिल

असर दिखा के रहेगा ज़रूर इक दिन वो

तेरे लहू में अगर है मेरा लहू शामिल

सफर सफर सा लगा  और रास्ता मंज़िल

मेरे सफर में हुआ आज खूब रू शामिल

मज़ा लड़ाई का आता नहीं है बेख़ुद से

मज़ा जो चाहो,  करो खूब जंग जू शामिल   

***************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 821

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2015 at 12:13pm

आदरनीय कृष्णा भाई , गज़ल की उन्मुक्त सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2015 at 12:11pm

आदरनीया राजेश जी , हौसला अफ्ज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

आदरणीया पहले मै मिसरे को वही लिखा था , जिसकी आप सलाह दे रहे हैं - तू जिन्दगी में मेरी कर ले आरजू शामिल   , लेकिन  मुझे लगा कि ये भ्रम हो रहा है कि , मेरी शब्द ज़िन्दगी के लिये है या ,आरजू के लिये , और मै मेरी आरजू  कहना चाहता था , इसी लिये मै -
तू कर ले ज़िन्दगी में,  मेरी आरजू शामिल. - किया , ये बात सही है कि फ्लो आपकी कहन मे जियादा है , मै फिर से सोचता हूँ , सलाह के लिये आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2015 at 12:05pm

अदरनीय आशुतोष भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2015 at 12:05pm

आदरणीय समर भाई , आपकी हौसला अफज़ाई ने गज़ल कहना सार्थक कर दिया । आपका तहे दिल से शुक्रिया ।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 2, 2015 at 11:10am

मुझे अधूरी किसी चीज़ की नहीं हाजत

मेरी हयात में हो जा तू हू ब हू शामिल........वाह  वाह...जानिसार इस हासिले गज़ल शेर पर!

बिन आरज़ू भी कभी ज़िन्दगी कटी है कहीं

तू कर ले ज़िन्दगी में मेरी आरजू शामिल................लाजव़ाब...लाजव़ाब!

आ० गिरिराज सर इस लाजव़ाब बुलंद गजल पर शेर दर शेर दाद ही दाद पेश है! नमन्!

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 2, 2015 at 10:43am

तेरे खतों में  रहा यूँ तो रंगो बू शामिल

मगर मज़ा ही कहाँ है अगर न तू शामिल---वाह  मतले ने ही दिल लूट लिया 

 

मुझे अधूरी किसी चीज़ की नहीं हाजत

मेरी हयात में हो जा तू हू ब हू शामिल---वाह्ह्ह्हह  वाह्ह्ह्हह 

 

बिन आरज़ू भी कभी ज़िन्दगी कटी है कहीं

तू कर ले ज़िन्दगी में मेरी आरजू शामिल----तू जिन्दगी में मेरी कर ले आरजू शामिल ---करके देखिये मेरे ख़याल से बह्र बेहतर होगी 

असर दिखा के रहेगा ज़रूर इक दिन वो

तेरे लहू में अगर है मेरा लहू शामिल----बहुत ही बेहतरीन शेर 

इस शानदार ग़ज़ल के लिए दिल से दाद कबूलें आ० गिरिराज जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 29, 2015 at 3:06pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..सभी अशार एक से बढ़कर एक हैं इस शानदार ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सादर

Comment by Samar kabeer on September 28, 2015 at 11:13pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,वाह वाह वाह,क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आपने,सुनकर दिल बाग़ बाग़ हो गया,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 28, 2015 at 10:13pm

आदरणीय श्याम भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 28, 2015 at 10:12pm

आदरनीय मिथिलेश भाई , आपकी उन्मुक्त सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ  ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
13 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service