For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : जो नकली सामान सजाकर बैठे हैं

बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २

 

चेहरे पर मुस्कान लगाकर बैठे हैं

जो नकली सामान सजाकर बैठे हैं

 

कहते हैं वो हर बेघर को घर देंगे

जो कितने संसार जलाकर बैठे हैं

 

उनकी तो हर बात सियासी होगी ही

यूँ ही सब के साथ बनाकर बैठे हैं?

 

दम घुटने से रूह मर चुकी है अपनी

मुँह उसका इस कदर दबाकर बैठे हैं

 

रब क्यूँकर ख़ुश होगा इंसाँ से, उसपर

हम फूलों की लाश चढ़ाकर बैठे हैं

------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 26, 2015 at 10:13am
तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय गिरिराज जी।

आदरणीय रूह तो अपनी है पर रूह का मुँह तो उसी का है न। इस हिसाब से ये ठीक ही लग रहा है।
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 26, 2015 at 10:10am
बहुत बहुत शुक्रिया जान गोरखपुरी साहब
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 23, 2015 at 11:40am
तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय मिथिलेश जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 23, 2015 at 11:39am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रवि जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 23, 2015 at 11:38am
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब समर साहब
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 23, 2015 at 11:38am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 23, 2015 at 11:38am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अमोद जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 23, 2015 at 11:29am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 23, 2015 at 6:58am

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , क्या खूब गज़ल हुई है . हर शे र लाजवाब हैं , मतले तो कहना ही क्या , वाह !

चेहरे पर मुस्कान लगाकर बैठे हैं

जो नकली सामान सजाकर बैठे हैं  -- हार्दिक बधाइयाँ ।

आदरनीय चौथे शे र के उला मे , अपना और सानी मे , उसका - सही है क्या ?

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 22, 2015 at 10:19pm

उनकी तो हर बात सियासी होगी ही

यूँ ही सब के साथ बनाकर बैठे हैं?

क्या बात! है आ० धर्मेन्द्र जी! हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service