For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : हुई जो खबर नाम चलने लगा है

हुई जो ख़बर नाम चलने लगा है ।

ये सारा जहां  हमसे जलने लगा है ।।

 

यहां झूठ से सबको नफरत है फिर भी ।

है किसकी ये शह जो मचलने लगा है ।।

न तुम आग उगलो न मै ज़ह्र घोलूं  ।

ये सोचें लहू क्‍यूँ उबलने लगा है ।।

बुरे वक्त में लोग करते है जुर्रत ।

हुई शाम सूरज भी ढलने लगा है ।।

तुम्‍हें देखते ही  हमारी कबा से ।

उदासी का आलम पिघलने लगा है ।।

 

अज़ल से वही है ज़फ़ा का बहाना ।

 कि मौसम के जैसा बदलने लगा है ।।

 

ये सूखे शज़र छांव देने लगे फिर ।

कि घर का भी मंज़र बदलने लगा है ।।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 839

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 17, 2015 at 4:25am
आदरणीय रवि जी एक और शानदार ग़ज़ल। दिल से दाद कुबूल फरमाएं।
Comment by Samar kabeer on September 16, 2015 at 11:01pm
जनाब रवि शुक्ल जी,आदाब,आपकी ग़ज़ल सुनकर जो लुत्फ़ हासिल हुवा वो कभी कभी हासिल होता है ,वाह बहुत ख़ूब ,शानदार,दिल बाग़ बाग़ हो गया,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by shree suneel on September 16, 2015 at 9:19pm
ये सूखे शज़र छांव देने लगे फिर ।
कि घर का भी मंज़र बदलने लगा है... ख़ूब! बहुत ख़ूब!
आदरणीय रवि शुक्ला जी, इस शानदार ग़ज़ल के लिये हार्दिक बधाई आपको. सादर.
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 16, 2015 at 5:53pm

बुरे वक्त में लोग करते है जुर्रत ।

हुई शाम सूरज भी ढलने लगा है ।।

बहुत ख़ूब आ०!ढ़ेरों दाद कबूल करें.

Comment by मनोज अहसास on September 16, 2015 at 3:12pm
बहुत खूब सर
आपको इस ग़ज़ल के लिए बधाई
सक्रिय सदस्य चुने जाने के लिए बधाई

इस ग़ज़ल को
तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ

पर गुनगुनाया बहुत बढ़िया लगा
सादर
Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 16, 2015 at 2:36pm
जी सर सादर आभार
Comment by Ravi Shukla on September 16, 2015 at 2:21pm

आदरणीय मुकेश जी आपकी उत्‍साहजनक टिप्‍पणी से उत्‍साहित है हम । सादर

Comment by Ravi Shukla on September 16, 2015 at 2:21pm

आदरणीय आमोद जी प्रयास पसंद आया धन्‍यवाद आपका

Comment by Ravi Shukla on September 16, 2015 at 2:20pm

आदरणीय मदन मोहन जी ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति का बहुत बहुत आभार

Comment by Ravi Shukla on September 16, 2015 at 2:20pm

आदरणीय राहुल जी ग़ज़ल आपको पसंद आई आभार स्‍वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
9 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service