For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल ...चाँद तारो से कभी पूंछा नही

बहर -2122/2122/2122/212

आज हम यह सोचते है के बिछड़ कर क्या मिला
हाँ ये सच है जो मिला उसका अलग रस्ता मिला

सोचता हूँ चाँद तारों से ज़रा मै पूछ लूँ
क्या तुम्हे भी राह में जो भी मिला तन्हा मिला

आज आँगन में कही तारा नहीं यादों भरा
छिप के कोने में पड़ा घर का हँसी प्याला मिला

मौसमो की ही तरह है इश्क की आबो हवा
जब चली तो घर मेरा दरका कही टूटा मिला

देख कर अंजाम अपना मैं बहुत हैरान हूँ
चल पड़ा जिस रास्ते पर वो ग़मों से जा मिला

.

मौलिक अप्रकाशित

Views: 700

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 15, 2015 at 5:26pm
आदरणीय आप सभी का सादर अभिनन्दन
आगे भी आप का प्यार और आशीर्वाद ऐसे ही पाने की अभिलाषा है
हम अभी इस बिधा पर नए है इस लिए
गुणीजन त्रुटि से जरूर अवगत कराये
जिससे हम आगे और सुन्दर लिख सके
जो भी त्रुटियाँ हो
उसके लिए क्षमा करिये गा

सभी को सादर प्रणाम
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 24, 2015 at 12:51am

आदरणीय आमोद जी इस सुंदर ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 23, 2015 at 10:42pm

देख कर अंजाम अपना मैं बहुत हैरान हूँ
चल पड़ा जिस रास्ते पर वो ग़मों से जा मिला----वाह्ह्ह्ह 

बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है आमोद जी ,दिल से बधाई लीजिये और प्रयासरत रहें ,शुभकामनायें 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2015 at 4:42pm

बढ़िया प्रयास , सुन्दर .

Comment by amod shrivastav (bindouri) on August 20, 2015 at 7:44pm
सर मै अभी नवांकुर ही हु मुझे इस विधा की जानकारी नही है। गजल की कक्षा ग्रुप से जो सिखा वो लिख रहा हु।
और गलतिया आदरनीय वीनस सर ने सही की है।

आप सभी को नमन
Comment by amod shrivastav (bindouri) on August 20, 2015 at 7:42pm
आदरनीय विजय सर नमन
आप सभी अपना प्यार ऐसे ही बनाये रखियेगा
Comment by amod shrivastav (bindouri) on August 20, 2015 at 7:41pm
आदरनीय गिरी राज सर
सादर आभार नमन
Comment by vijay nikore on August 20, 2015 at 4:05pm

बहुत अच्छी गज़ल लिखी है। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2015 at 7:11am

आदरणीय आमोद भाई , लाजवाब गज़ल कही है , सभी अशआर अच्छे हुये हैं , हार्दिक बधाई आपको ।

सोचता हूँ चाँद तारों से ज़रा मै पूछ लूँ
क्या तुम्हे भी राह में जो भी मिला तन्हा मिला   -- इस शे र के लिये दिली बधाइयाँ ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on August 19, 2015 at 11:04pm
रवि सर आप को सादर नमन आभार

सर एक अनुरोध है
सर जोभी त्रुटी हो दिल खोल कर कहे
मै आप से वादा करता हूँ । मै अपने लेख में उन गलतियों को सही कर के पेश करुगा

सर अपना प्यार ऐसे ही बनाये रखिये गा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service