For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता "परेशानी"

सोच रही हूँ आज कौन सा गीत लिखूँ जी
आडी -तिरछी रेखाओं में भाव भरूँ जी।

मन उड़ भागा लेकर भाव के सारे पन्ने।
दिक करते हैं बोल पडौस में गव रहे बन्ने।

कभी किसी कोयलिया ने कुहु टेर लगाई ।
खुशबू पहले बौर की मुझ तक दौड़ी आई।

डाल पे झूले बैठीं सखियाँ झूल रही हैं।
मन की चिड़िया शब्द भी सारे भूल रही है।

काला कौवा बैठ मुंडेरी चीख रहा है।
आता दूर पथिक भी कोई दीख रहा है।

रात चाँदनी साज लिए लो बैंठ गई है ।
नई बहुरिया सास से फिर कुछ ऐंठ गयी है।

अब बारह के टन -टन घण्टे बाज रहे हैं।
छुक-छुक करती रेल के पहिये भाग रहे हैं।

पर सारा मंजर मुझसे बस ये ही कहता है ,

कहो वही जो आज तुम्हारा मन कहता है ।
ममता
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 793

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mamta on August 24, 2015 at 10:13am
आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, हर्ष जी आपके आशीर्वचन प्रेरणादायक हैं।
बहुत -बहुत आभार।
सादर ममता
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2015 at 4:29pm

प्रकृति का उद्दीपन मनोहारी है .

Comment by Harash Mahajan on August 22, 2015 at 11:35am
आ0 ममता जी आपकी पेशकश बहुत ही अच्छी रही ।
"डाल पे झूले बैठी ......सारे भूल रही है ।"....अति सूंदर !!
Comment by Mamta on August 21, 2015 at 10:45am
ह्रदय तल से आपका आभार! आदरणीया प्रतिभा जी।
सादर ममता
Comment by pratibha pande on August 20, 2015 at 6:14pm

बिल्कुल ,कहो वही जो तुम्हारा मन कहता है और मन बहुत बढ़िया कहता है .बधाई आपको ममता जी इस रचना के लिए  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. अजय जी व्यभिचार भी यह कहीं प्रतीत नहीं होता की हमेशा करते रहे ..लेकिन व्यभिचार…"
7 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. तिलकराज सर "
19 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है ऋचा जी। आदरणीय शिजजु जी और नीलेश भाई ने जो बिन्दु दिए हैं वो…"
24 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"रदीफ़ 'भी करते रहे' पर आपकी स्पष्टता महत्वपूर्ण और समझने का विषय है।  आश्वस्त हूँ कि…"
43 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"तरही मिसरे पर अच्छे अशआर हुए हैं आदरणीय नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा है। छल -कपट से देवता व्यभिचार भी…"
46 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जु भाई, अच्छे अशआर के लिए बहुत बहुत बधाई। गिरह बेहद पसंद आई और तीसरे शेर के लिए ख़ास दाद…"
55 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मुशायरे का आग़ाज़ करने के लिए बधाई लक्ष्मण भाई। अच्छी ग़ज़ल हुई है पर समय चाह रही है। आदरणीय तिलकराज जी…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़ज़ल - 2122 2122 2122 212 वक्त बदला तो उसे स्वीकार भी करते रहे जिन्दगी में प्यार का व्यवहार भी करते…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"राष्ट्र-निष्ठा के प्रकट उद्गार भी करते रहे सारे नेता मिल के भ्रष्टाचार भी करते रहे वो बहाने के लिए…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"भाई शिज्जू जी, आपकी प्रस्तुति कमाल की सोच लेकर सामने आयी है.  जैसे,  धर्म-संकट से बचाना…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, आपने जिस विस्तार से प्रत्येक मिसरा पर धान दिया है वह मंच की गरिमा के अनुरूप…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति पर जिस उदारता और आत्मीयता से आदरणीय तिलकराज सर ने समय दिया…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service