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वंश वृद्धि (लघुकथा)

कवि सम्मेलन के आगाज़ के साथ ही नवांकुर कवि के कविता पाठ करते ही मरघट सा सन्नाटा पसर गया।बामुश्किल नामी कवी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा -
" इन्हें कलम चलानी तो आती नहीं फिर माहौल खराब करने के लिए यहाँ किसने आमन्त्रित किया हैं ?"
" अरे , शर्मा जी इन नवांकुरों को मैंने आमन्त्रित किया हैं ।इन्हें सिखाना भी तो जरुरी हैं।"
" ये केवल नाम बटोरना चाहते हैं ,लगन मेहनत से कोई वास्ता नहीं इनका।इन्हें मंच से हटाया जाय "
"शर्मा जी, ये हमे अपना आदर्श मानते हैं "
" तो हम ही मंच छोड़ देते हैं।"
"नहीं -नहीं आप सब ना जाए लेकिन मैं यह नहीं जानता था की आपका वंश वृद्धि से कोई सरोकार नहीं हैं

(मौलिक और अप्रकाशित)

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Comment by Omprakash Kshatriya on August 6, 2015 at 7:09am
नवांकुरों के पक्ष में शानदार रचना । बधाई आप को ।
Comment by Archana Tripathi on August 6, 2015 at 1:26am
शुक्रिया आदरणीय राजेश कुमारी जी और
आदरणीय Harash Mahajan जी
लघुकथा का मर्म समझने और उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार ।
Comment by Harash Mahajan on August 5, 2015 at 10:26am

बेहद खूबसूरती से इस  अहसास के माध्य, सच्चाई ब्यान की है आपने | बहुत सही कटाक्ष !! दाद !! साभार !!


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Comment by rajesh kumari on August 5, 2015 at 10:21am

स्थापित रचनाकार नवांकुरों को जगह नहीं देंगे तो वंश आगे कैसे बढेगा ...ये सोच कितनो में है ??? बहुत बढ़िया कटाक्ष करती हुई प्रस्तुति दिल से बधाई लीजिये अर्चना जी| 

Comment by Archana Tripathi on August 5, 2015 at 8:54am
आदरणीय Dr.(Mrs)Niraj Shrama जी ,रचना पर अमूल्य समय देने के लिए आपकी आभारी हैं । सदैव मार्गदर्शन करते रहिये ।
Comment by Archana Tripathi on August 5, 2015 at 8:51am
आदरणीय Virendra veer Mehta ji समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ।
Comment by Archana Tripathi on August 5, 2015 at 8:49am
आदरणीय shree Suneel जी रचना को संज्ञान में लेने और अपना अमूल्य समय देने के लिए हार्दिक आभार।
Comment by shree suneel on August 5, 2015 at 1:44am
नवांकुरों का पक्ष लेती सुन्दर लघु-कथा के लिए बधाईयां आपको आदरणीया अर्चना जी.
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on August 4, 2015 at 10:56pm
बहुत उम्दा रचना आदः अर्चना जी। नव लेखको को प्रोत्साहन देने के लिये भी स्थापित रचनाकारो मे से विरले रचनाकार ही होते है।
सादरबधाई इस बढिया कथाके लिये।
Comment by Dr. (Mrs) Niraj Sharma on August 4, 2015 at 9:05pm

्बहुत अच्छी लघुकथा आ. अर्चना त्रिपाठी जी।

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