For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लोकतातंत्र तो दफ़न हो गया संसद की दीवारों में

कुछ तो बात अवश्य मित्र है संसद के गलियारों में।
वर्ना देश नहीं रह जाता अब तक यूँ अँधियारों में।।

उसको ही भाया है जनता सदा रहे दुःख से विह्वल।
जिसको भी सौंपी सत्ता जो पहुँचा उस चौबारे में।।

बड़ी बड़ी बातें जो अब तक घूम घूम कर करते थे।
उनका भी मन रमने लगा है परदेशी सत्कारों में।।

भले चिताएँ जलें सैकड़ों जनता की चौराहों पर।
चाहे जैसे रहे किन्तु हो राजमहल उजियारे में।।

जी करता है फूँक फ़ाँक दूँ काली पुस्तक अंधी देवी।
जब मज़ाक उड़ता है उनका संसदीय त्यौहारों में।।

मेरी आस्था बहुत अधिक है प्रीत बहुत है संविधान से।
किन्तु मृत्यु को प्राप्त हुआ वो अगणित अत्याचारों से।।

कोई माने या ना माने पर मैं बात खरी कहता।
लोकतंत्र तो दफ़न हो गया संसद की दीवारों में।।
============================
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 687

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 27, 2015 at 5:36pm
आदरणीय समीर कबीर सर;अभी मैं ग़ज़ल के शिल्प पक्ष को सीख नहीं पाये हूँ;बहुत जल्द ही उन दोषों को भी दूर कर लूँगा। आपके सुझाव सर आँखों पर। मुझे ऐसे ही निर्देशित करते रहेंगे तो मैं आपका कृतज्ञ रहूँगा।।

तारीफ़ और उत्साहवर्धन के लिए दिल से धन्यवाद।।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 27, 2015 at 5:32pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी और समदारणीय गिरिराज भंडारी सर आप दोनों लोगों को मेरा उत्साह वर्धन करनें के लिए हार्दिक आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 27, 2015 at 4:15pm

आदरणीय पंकज जी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 27, 2015 at 12:46pm

आदरनीय पंकज भाई , आपकी विचारोत्तेजक रचना के लिये आपको हार्द्क बधाइयाँ ॥

Comment by Samar kabeer on July 27, 2015 at 11:27am
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी,आदाब,ग़ज़ल आपने अच्छी कही है लेकिन उसके अरकान नहीं लिखे,इस कारण से ग़ज़ल को समझने में दुश्वारी हो रही है,आपकी ग़ज़ल के कई मिसरे बह्र में नहीं लगते,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 26, 2015 at 7:18pm

उत्साहवर्धन के लिये सादर आभार आदरणीय विजय शंकर जी और महर्षि त्रिपाठी जी

Comment by maharshi tripathi on July 26, 2015 at 6:27pm

आधुनिक लोकतंत्र की दशा पर प्रकाश डालती अच्छी रचना पर  आपको बधाई आ. Pankaj Kumar Mishra जी |

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 26, 2015 at 6:24pm
लोकतंत्र कहाँ है , चुनावतंत्र है, जो चुना जाए वह अपने अपने तंत्र के अनुसार चलता है , लोकतंत्र की इतनी परिभाषाएं शायद ही कहीं मिलें।
आपको इस प्रस्तुति पर बधाई, आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा जी, सादर।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 26, 2015 at 5:58pm
अहसास है आभास है
सब आक विश्वास है।।


धन्यवाद मनोज जी
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 26, 2015 at 5:56pm
अहसास है आभास है।
बस आपका विश्वास है।।

धन्यवाद मनोज जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
17 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service