For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- ईद उससे कोई मिला ही नहीं

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन /फ़ेलान


आके इसमें कोई रुका ही नहीं
दश्त-ए-दिल में कोई सदा ही नहीं

आँख कहती है दूर है वो बहुत
दिल ये कहता है फ़ासला ही नहीं

जिसमें ख़तरा हो हार जाने का
खेल मैं ऐसे खेलता ही नहीं

ये तो मैदान-ए-हश्र है भाई
याँ, कोई झूट बोलता ही नहीं

दर्द-ए-दिल का इलाज ढूँढते हो
दर्द-ए-दिल की कोई दवा ही नहीं


सबके मुंह देखता रहा वो ग़रीब
ईद उससे कोई मिला ही नहीं

मेरा अपना ख़याल तो ये है
चाँद पर आदमी गया ही नहीं

सच कहा है "समर" बुज़ुर्गों ने
इश्क़ की कोई इन्तिहा ही नहीं

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 681

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on July 21, 2015 at 11:24pm
जनाब मनोज कुमार अहसास जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on July 21, 2015 at 11:23pm
जनाब मिथिलेश वामानकर जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 21, 2015 at 11:02am
आदरणीय समर भाई , बढिया गज़ल कही है आपने , दिली मुबारक बाद कुबूल कीजिये ।
आँख कहती है दूर है वो बहुत
दिल ये कहता है फ़ासला ही नहीं === लाजवाब !!
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 21, 2015 at 10:36am
बहुत खूब समर साहब, खूबसूरत अश’आर हुए हैं। दाद कुबूल कीजिए

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 20, 2015 at 10:47pm

आँख कहती है दूर है वो बहुत
दिल ये कहता है फ़ासला ही नहीं---वाह 

जिसमें ख़तरा हो हार जाने का
खेल मैं ऐसे खेलता ही नहीं-----शानदार 

सबके मुंह देखता रहा वो ग़रीब
ईद उससे कोई मिला ही नहीं----बहुत मार्मिक गरीब को कौन पूछता है आजकल 

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आ० समर कबीर भाई जी,दिल से बधाई लीजिये साथ में ईद की भी  हार्दिक बधाई 

Comment by मनोज अहसास on July 20, 2015 at 10:43pm
बहुत खूब
बेहतरीन
शानदार
बेमिसाल
इश्क़ की कोई इंतहा ही नहीं
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 20, 2015 at 6:00pm

आदरणीय समर कबीर जी, बेहतरीन मतला, शानदार अशआर और लाज़वाब मक्ता 

दाद दाद दाद 

ये कमाल हुआ है- 

दर्द-ए-दिल का इलाज ढूँढते हो
दर्द-ए-दिल की कोई दवा ही नहीं

सबके मुंह देखता रहा वो ग़रीब
ईद उससे कोई मिला ही नहीं

मेरा अपना ख़याल तो ये है
चाँद पर आदमी गया ही नहीं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service