For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अधूरी इच्छा (लघुकथा)

बाबूजी जी के श्राद्ध कर्म में वे सारी वस्तुएं ब्राह्मण को दान में दी गयी जो बाबूजी को पसंद थे. शय्या-दान में भी पलंग चादर बिछावन आदि दिए गए. ऐसी मान्यता है कि स्वर्ग में बाबूजी इन वस्तुओं का उपभोग करेंगे. लोगों ने महेश की प्रशंशा के पुल बांधे।

"बहुत लायक बेटा है महेश. अपने पिता की सारी अधूरी इच्छाएं पूरी कर दी."
"पर दादाजी को इन सभी चीजों से जीते जी क्यों तरसाया गया?"- महेश का बेटा पप्पू बोल उठा.

.

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 870

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 18, 2015 at 8:23am

आदरणीय सौरभ सर, आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया से मन प्रफुल्लित हो गया ...सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 16, 2015 at 9:01pm

आदरणीय जवाहर भाईकी इस लघुकथा के बरअक्स आदरणीय गिरिराज भाईजी का शेर -
रहा जब तक सुनी तुमने नहीं,  जिस शख़्स की यारो
लिपट कर आज रोना क्यूँ , कि वो उत्तर नहीं देता ॥  

दोनों ग़ज़ब ! हार्दिक बधाई, भाई..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 8, 2015 at 10:23pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर साहब!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 8, 2015 at 10:23pm

हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय जी! आपका सुझाव सर आँखों पर!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 8, 2015 at 10:21pm

सकारात्मक और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार आदरणीय विजय कुमार सिंह जी!

Comment by vijay nikore on July 8, 2015 at 9:49am

अति संवेदनशील लघु कथा ! हार्दिक बधाई।

Comment by Omprakash Kshatriya on July 8, 2015 at 7:24am

आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH  जी बहुत ही सुन्दर लघुकथा. आजकल के ढकोसलों पर . बधाई

केवल प्रशंशा  को प्रशंसा कर लीजिए .

Comment by विनय कुमार on July 7, 2015 at 10:26pm

बुज़ुर्ग तो अतृप्त ही स्वर्ग सिधार जाते हैं और बाद में ये सब ढोंग लोगों को दिखाने के लिए हटा है | सुन्दर लघुकथा , बधाई आदरणीय..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 7, 2015 at 7:44pm

आदरणीय अग्रज तुल्य कुशवाहा जी, हम सभी लोक-लाज के लिए बहुत सारी प्रथाओं का अन्धानुकरण करते हैं ... कम से कम जीते जी किसी बुजुर्ग को तकलीफ न हो ...प्रयास यही होना चाहिए ...पर ????

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 7, 2015 at 7:41pm

जी आदरणीया कांता रॉय जी मैं भी सीख ही रहा हूँ बस आपलोगों ने मान दिया यही काफी है ...जबकि तथ्य से हम सभी वाकिफ हैं ...अगर वहां असर हो वही काफी है सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//उसकी तारीफ़ में जो कुछ भी ज़ुबां मेरी कहेउसको दरिया-ए-मुहब्बत की रवानी लिखना// वाह! नयापन है इस…"
23 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ! अच्छी ग़ज़ल से मुशाइरा आरंभ किया आपने। बहुत बधाई! // यूँ वसीयत में तो बेटी…"
37 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हर कहानी को कई रूप रुहानी लिखना जाविया दे कहीं हर बात नूरानी लिखना मौलवी हो या वो मुल्ला कहीं…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय दयाराम जी ग़ज़ल पर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सादर आदरणीय सौरभ जी आपकी तो बात ही अलग है खैर जो भी है गुरु जी आदरणीय समर कबीर ग़ज़ल के उस्ताद हैं…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी शुक्रिया आदरणीय मंच के नियमों से अवगत कराने के लिए"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, गलती से ऐसा हो गया था। आपकी टिप्पणी के पश्चात ज्ञात हुआ तो अब अलग से पोस्ट कर दी…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"ग़ज़ल - 2122 1122 1122 22 काम मुश्किल है जवानी की कहानी लिखनाइस बुढ़ापे में मुलाकात सुहानी लिखना-पी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरी समर साहब से तीन दिन पहले ही बातें हुई थीं। उनका फोन आया था। वे 'दुग्ध' शब्द की कुल…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, आपने शानदार ग़ज़ल कही है। गिरह भी खूब लगाई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी, आपने बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service