For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

२१२२ २१२२ २१२   

 

चाँद को जो गुनगुनाना आ गया

चाँदनी को मुस्कुराना आ गया

 

 दीप राहों में जले कुछ इस कदर

 याद इक  मंजर पुराना आ गया

 

देख कर अठखेलियाँ वो अब्र की

 पंछियों को चहचहाना आ गया

 

मौतं से भी हो गई थी आशिकी

, जंग में जब जाँ लुटाना आ गया

 

पड़ गई कुछ जान उस मासूम में,

 पेट में जब एक दाना आ गया

 

जिंदगी की देखकर जद्दोजहद  ,

जोश हमको आजमाना आगया.

 

देख मौजों की अदा कश्ती कहे,

 आज मौसम कातिलाना आ गया  

 

बच के रहना देख अब सैय्याद  तू,

तीर चिड़ियों को चलाना आ गया.

 

कल तलक कमजोर अपने पंख थे

,अब मुकद्दर आजमाना आ गया

 

हाथ को देखे न दूजा हाथ अब

,'राज' ये कैसा ज़माना आ गया

-----------------राजेश कुमारी 'राज '

Views: 644

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 18, 2015 at 11:17am

आ० श्याम नारायण वर्मा जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई इस उत्साह वर्धन के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 17, 2015 at 9:24pm

जिंदगी की देखकर रस्साकशी ,

जोश हमको आजमाना आगया.

बच के रहना देख अब सैंयाद तू,

तीर चिड़ियों को चलाना आ गया.

वाह आदरणीया बहुत ही बेहतरीन गजल हुयी है शेर दर शेर दिली दाद कबूल फरमाएं!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 17, 2015 at 8:11pm

आ० समर कबीर भाई जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह दुगुना हो गया ..सच कहूँ ये ग़ज़ल दस मिनट में तैयार हो गई फिल बदीह आयोजन में एक लिखने का अलग उत्साह होता है कल पहली बार मैंने इसमें भाग लिया |आपका दिल से बहुत बहुत आभार |

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2015 at 7:07pm
  1. आ0 राजेश दी"जी, खूबसूरत व बेहतरीन गज़ल हेतु दाद कुबूल फरमाए. सादर
Comment by narendrasinh chauhan on June 17, 2015 at 5:37pm

हाथ को देखे न दूजा हाथ अब

,'राज' ये कैसा ज़माना आ गया

लाजवाब , बहुत उम्दा गजल ,

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 17, 2015 at 5:07pm

आदरणीय दीदी

कम समय में कमाल की रचना , बहुत खूब , आपको बधाई . सादर .

Comment by Shyam Narain Verma on June 17, 2015 at 4:30pm
क्या बात है .... बहुत उम्दा | बधाई आप को 
Comment by Samar kabeer on June 17, 2015 at 4:04pm
बहना राजेश कुमारी जी,आदाब,वाह ,सब से पहली दाद तो फ़िल बदीह की है,फ़िल बदीह में समय निश्चित होता है और इतने कम समय में इतनी अच्छी ग़ज़ल कहना कमाल की बात है,इस अच्छी ग़ज़ल के लिये शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service