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२१२२ २१२२ २१२   

 

चाँद को जो गुनगुनाना आ गया

चाँदनी को मुस्कुराना आ गया

 

 दीप राहों में जले कुछ इस कदर

 याद इक  मंजर पुराना आ गया

 

देख कर अठखेलियाँ वो अब्र की

 पंछियों को चहचहाना आ गया

 

मौतं से भी हो गई थी आशिकी

, जंग में जब जाँ लुटाना आ गया

 

पड़ गई कुछ जान उस मासूम में,

 पेट में जब एक दाना आ गया

 

जिंदगी की देखकर जद्दोजहद  ,

जोश हमको आजमाना आगया.

 

देख मौजों की अदा कश्ती कहे,

 आज मौसम कातिलाना आ गया  

 

बच के रहना देख अब सैय्याद  तू,

तीर चिड़ियों को चलाना आ गया.

 

कल तलक कमजोर अपने पंख थे

,अब मुकद्दर आजमाना आ गया

 

हाथ को देखे न दूजा हाथ अब

,'राज' ये कैसा ज़माना आ गया

-----------------राजेश कुमारी 'राज '

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Comment by rajesh kumari on June 18, 2015 at 11:17am

आ० श्याम नारायण वर्मा जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई इस उत्साह वर्धन के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 17, 2015 at 9:24pm

जिंदगी की देखकर रस्साकशी ,

जोश हमको आजमाना आगया.

बच के रहना देख अब सैंयाद तू,

तीर चिड़ियों को चलाना आ गया.

वाह आदरणीया बहुत ही बेहतरीन गजल हुयी है शेर दर शेर दिली दाद कबूल फरमाएं!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 17, 2015 at 8:11pm

आ० समर कबीर भाई जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह दुगुना हो गया ..सच कहूँ ये ग़ज़ल दस मिनट में तैयार हो गई फिल बदीह आयोजन में एक लिखने का अलग उत्साह होता है कल पहली बार मैंने इसमें भाग लिया |आपका दिल से बहुत बहुत आभार |

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2015 at 7:07pm
  1. आ0 राजेश दी"जी, खूबसूरत व बेहतरीन गज़ल हेतु दाद कुबूल फरमाए. सादर
Comment by narendrasinh chauhan on June 17, 2015 at 5:37pm

हाथ को देखे न दूजा हाथ अब

,'राज' ये कैसा ज़माना आ गया

लाजवाब , बहुत उम्दा गजल ,

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 17, 2015 at 5:07pm

आदरणीय दीदी

कम समय में कमाल की रचना , बहुत खूब , आपको बधाई . सादर .

Comment by Shyam Narain Verma on June 17, 2015 at 4:30pm
क्या बात है .... बहुत उम्दा | बधाई आप को 
Comment by Samar kabeer on June 17, 2015 at 4:04pm
बहना राजेश कुमारी जी,आदाब,वाह ,सब से पहली दाद तो फ़िल बदीह की है,फ़िल बदीह में समय निश्चित होता है और इतने कम समय में इतनी अच्छी ग़ज़ल कहना कमाल की बात है,इस अच्छी ग़ज़ल के लिये शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

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