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ऊंचाई (लघु कथा)

लघु कथा - ऊंचाई

''पापा पापा जल्दी आओ, आफिस में देर हो रही है। ''
'' ओफ्फो ! एक मिनट तो रुको। ज़रा चप्पल तो पहन लूँ। द्वारका प्रसाद ने घर भीतर से आवाज़ दी। ''
''आ गया आ गया मेरे बेटे। ''
''इतनी देर कहाँ लगा दी पापा आपने। "
''वो बेटे पहले तो चप्पल नहीं मिली और मिले तो पहनते ही उसका स्टेप निकल गया बस इसी में थोड़ी देर हो गयी। द्वारका प्रसाद ने आँखों के चश्मे को ठीक करते हुए कहा। ''
''राहुल ने चमचमाती नयी गाड़ी का दरवाजा खोला और कहा चलो जल्दी बैठो। ''
वृद्ध द्वारका प्रसाद अपने हाथ की छड़ी संभाली और जैसे ही कांपते हुए भीतर बैठने लगे बेटे ने वक्र दृष्टि से पिता के लिबास ,पाँव में रबड़ की चप्पल,हाथ में छड़ी को निहारा और थोड़ी नाराज़गी भरी शब्दों में कहा -''पापा आप ढंग के कपड़े तो पहन लेते और ये छड़ी भी साथ लेकर चलेंगे क्या ? पापा ! चप्पल की मिट्टी तो झाड़ लो जरा ,नयी कार की मेट खराब हो जाएगी। "
''अरे हाँ हाँ, सॉरी बेटा, अभी चप्पल से मिट्टी झाड़ देता हूँ वरना बेवजह तेरी कार की मेट खराब हो जाएगी। ''
चप्पल से मिट्टी झाड़ कर द्वारका प्रसाद अनमने मन से कार की नयी सीट पर किसी अजनबी की तरह बैठ गए। समझ नहीं आ रहा था बेटे की ऊंचाई पर गर्व करूँ या अपने संस्कारों पर शर्मिंदा होऊं। अपने बेटे का गोदी से आज तक का सफर एक चलचित्र की भांति आँखों में घूम गया।कल की तरह उसके थ्री पीस सूट के लिए मैंने अपने लिबास को खो दिया। उसके पाँव में चमचमाते जूते रहें इसीलिये अपनी चप्पल से हरदम प्यार किया। कोई दुःख न पहुंचे बेटे को इसलिए छड़ी के सहारे को स्वीकार किया। पास होने के बावज़ूद भी उसके बड़बड़ाने की आवाज ऐसा लगता था जैसे बहुत दूर से आ रही हो। चश्मा साफ़ था लेकिन गीली आँखों से सड़क धुंधली नज़र आ रही थी। चमचमाती गाड़ी की खुशी से राहुल का चेहरा चमक रहा था पर इस मक़ाम तक पहुंचाने वाले द्वारका प्रसाद का झुका चेहरा कार के ऐ सी में भी पसीने  से भीगा था।

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Sushil Sarna on June 7, 2015 at 7:17pm

आदरणीय    Manan Kumar singh जी लघु कथा पर आपकी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2015 at 3:59pm

आदरणीय    krishna mishra 'jaan'gorakhpuri ' जी लघु कथा पर आपकी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2015 at 3:58pm

आदरणीय   Mohan Sethi 'इंतज़ार' जी लघु कथा पर आपकी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2015 at 3:58pm

आदरणीय  जितेन्द्र पस्टारिया जी लघु कथा पर आपकी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार।

Comment by Manan Kumar singh on June 7, 2015 at 12:17pm
आज की सच्चाई,अधिकांशतः।
Comment by Sushil Sarna on June 7, 2015 at 11:46am

 आदरणीय    जितेन्द्र पस्टारिया जी लघु कथा पर आपकी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2015 at 11:45am

आदरणीय   maharshi tripathiजी लघु कथा पर आपकी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2015 at 11:45am

आदरणीय  vinaya kumar singhजी लघु कथा पर आपकी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2015 at 11:43am

आदरणीय डॉ गोपाल भाई साहिब कथाभाव पर आपकी मनोहारी टिप्पणी मुझे नए लेखन की ओर प्रोत्साहित करती है , हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2015 at 11:40am

आदरणीय  Dr. Vijai Shanker जी लघु कथा पर आपकी प्रतिक्रिया ने मेरे लेखन को सफल कर दिया है , तहे दिल से आपका शुक्रिया। 

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