For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- तनाबें सब उखड़ गईं तुम्हारे एतबार की

मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन


तनाबें सब उखड़ गईं तुम्हारे एतबार की
हमें न अब सुनाइये कहानियाँ बहार की

फ़क़ीर की,न शाह की,न जोहरी ,सुनार की
यहाँ पे बात कर रहा हूँ मैं तो सिर्फ़ प्यार की

ज़रा सी देर बाद ये चराग़ बुझ ही जाएगा
हदें तमाम ख़त्म हो रही हैं इन्तिज़ार की

चढ़े दिमाग़ पर तो फिर कभी न वो उतर सके
मुझे तलाश है जनाब-ए-मन उसी ख़ुमार की

नदी किनारे झाड़ियों में छुप के बैठता है वो
सताए उसको भूक जब तलब लगे शिकार की

सुलूक इसके साथ जो भी जी में आए कीजिये
ग़ज़ल तुम्हारे सामने रखी है ख़ाकसार की

ख़ुशी से झूमते हो,झूम लो "समर" ज़रा सुनो
ख़बर तो कोई लाओ मेरे ग़म के रेगज़ार की

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 881

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by narendrasinh chauhan on June 4, 2015 at 6:26pm

जादा तो कुछ नहीं हमें है पता , पर आपकी ग़ज़ल खूब पसंद आती है

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 4, 2015 at 5:48pm

सुलूक इसके साथ जो भी जी में आए कीजिये
ग़ज़ल तुम्हारे सामने रखी है ख़ाकसार की

ख़ुशी से झूमते हो,झूम लो "समर" ज़रा सुनो
ख़बर तो कोई लाओ मेरे ग़म के रेगज़ार की--------------------वाह वाह, लाजवाब . बस कमाल है .

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 4, 2015 at 3:04pm

आदरणीय समर कबीर जी उम्दा शेर हुए है लेकिन आपने तो घुटने टेक दिये .....सुलूक इसके साथ जो भी जी में आए कीजिये
ग़ज़ल तुम्हारे सामने रखी है ख़ाकसार की ....हाहाहा ..सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 4, 2015 at 2:17pm

आ हा हा हा ..पहले तो  बहर पर ज़ूम गया ..जयशंकर प्रसाद की "हिमाद्री तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती" याक बयक कौंद गयी मन में ..
ऊपर से क्या कहन..ज़िंदाबाद जनाब 

Comment by वीनस केसरी on June 4, 2015 at 1:22pm

जिंदाबाद जिंदाबाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरनाजी, यदि आप चर्चा की गंभीरता को वाकई समझ रहे हैं तो यह अवश्य ही उचित है, कि संवादो…"
6 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई। 'नाश सृष्टि का…"
7 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और असीम स्नेह के लिए आभार।"
13 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"परम आदरणीय गिरिराज भंडारी जी एवं सौरभ पाण्डेय जी  इस वार्ता को यहीं समाप्त करना  उचित…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अशोक भाई प्रदत्त विषय पर बढ़िया गीत रचना हुई , हार्दिक बधाइयां "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अशोक भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध हो जाता है तब आवश्यक शांति संदेश जब निरर्थक हों.......सत्य कहा है आपने.   आदरणीय…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"ये झगड़े फिर बढ़ेंगे ध्यान रखना सुलह तो जंग से भी पुर ख़तर है....वाह ! वाह ! आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शान्ति और युद्ध   कारण और अकारण कितने, युद्धों से इतिहास भरा है। वीरों के खोने का दिल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण भाई आभार आपका "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील भाई .                      …"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई गिरिराज जी, जबरदस्त कहन है। हार्दिक बधाई"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service