For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“सुन री छोटी ! सीख कुछ मुझसे. जब देखो मुंह उघारे घूमती रहे है, घूँघट काढ़ा कर |” “ना जीजी हम नही बन सके तुम्हारे जैसे पर्देदार ! देखी हैं हम तुम्हारी नजर.. घूँघट के पीछे से घूरे है छुटके देवर जी का शरीर जब देखो तब |” “का फायदा ऐसे घूँघट का..?” देवरानी ने पलट जवाब दे मारा जेठानी पर |

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 673

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sudhir Dwivedi on May 27, 2015 at 9:28am

आदरणीय सौरभ जी प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 27, 2015 at 12:12am

पर्दे के पीछे पर्दानशीं है.. . यह पर्दानशीं कई क्रियाओं की प्रतिक्रियाओं का कारण हुआ करती है.

हार्दिक बधाइयाँ इस ऑब्जर्वेशन के लिए ..

सादर

Comment by Sudhir Dwivedi on May 17, 2015 at 3:08pm

शुक्रिया नेहा जी , मैं भी गौरवान्वित हूँ आपकी प्रतिक्रिया से ..

Comment by Sudhir Dwivedi on May 17, 2015 at 3:07pm

आ. श्याम नारायण वर्मा जी हार्दिक आभार 

Comment by Sudhir Dwivedi on May 17, 2015 at 3:07pm

आ. हरिप्रकाश दुबे जी हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Shyam Narain Verma on May 16, 2015 at 11:35am
बहुत सुन्दर !! लघुकथा के लिये बधाइयाँ ॥
Comment by Hari Prakash Dubey on May 15, 2015 at 10:18pm

सुन्दर  रचना  आ. Sudhir Dwivedi जी , "देखी हैं हम तुम्हारी नजर.. घूँघट के पीछे से घूरे है छुटके देवर जी का शरीर जब देखो तब |" ये  पंक्तियाँ  कमाल  करती है ! बधाई आपको 

Comment by neha agarwal on May 15, 2015 at 4:12pm
वाह भाई गर्व है मुझे की आप मेरे भाई हो।
Comment by Sudhir Dwivedi on May 15, 2015 at 11:29am

आ. मिथिलेश जी , आभार | सादर 

Comment by Sudhir Dwivedi on May 15, 2015 at 11:22am

आदरणीय जीतेन्द्र  जी .. हार्दिक धन्यवाद  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
6 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जू भाई, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश भाई, क्या ही खूब ग़ज़ल कही है. वाह. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. बाकी अभ्यास…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें. गुनीजनों की सलाह पर अवश्य…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service