For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समय कितना बदल गया है. वो दिन थे जब शरीर तोड़कर उतना ही पैदा कर पाता था, कि साल भर अपने परिवार का पेट भर सके.. अगर चार दिन को कोई मेहमान आ जाए तो आस-पड़ोस से उधार मांग लाता. और खूब से खूब इस बार के कर्ज के गड्डे को भर, फिर खुदाई शुरू कर देता..

आज भरपूर बिजली, पानी और कम ब्याज पर सरकारी ऋण से पैदावार बहुत बड़ गई है, अश्विन और बैशाख के माह में हर तरफ अनाज ही अनाज. खुशियों के सपने संजोये,  बैलगाड़ी की जगह ट्रकों से अनाज लेकर उपार्जन केंद्र पर खड़ा है..

“ बाबूजी!! यह रहा मेरा पंजीयन. जल्दी से  मेरा अनाज तुलवा दीजिये..”

“ सुनो! भाई.. यहाँ बहुत दिक्कते है, बहुत सारी अव्यवस्थायें है. आपको कुछ दिन रुकना पड़ेगा..”

“ लेकिन बाबूजी, कई दिनों से इन्तजार कर रहें है. कब तक खाली हाथ लौटें..”

“ तो मैं क्या करूँ..भैया ? क्यों इतना पैदा कर रहे हो कि पूरा तंत्र ही परेशान हो गया..”  

एक शासकीय मुलाजिम की यह बात सुन, उसे अपनी संतुष्टि भरी अवनति याद आ गई...

 

 

   जितेन्द्र पस्टारिया

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 740

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 9, 2015 at 12:52am

लघुकथा पर आपकी उपस्थिति व्  सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार, आदरणीया शशि जी

सादर!

Comment by shashi bansal goyal on May 8, 2015 at 6:51pm
आदरणीय जीतेन्द्र जी बहुत सार्थक और मारक कथा लिखी है ।अंतिम पंक्ति तो बहुत ही बढ़िया है । बधाई आपको ।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 8, 2015 at 9:30am

आदरणीय कृष्णा भाई जी, स्नेह हेतु आपका आभारी हूँ

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 8, 2015 at 9:29am

आपकी उपस्थिति व् सराहना हेतु आपका ह्रदय से आभार, आदरणीय डा.आशुतोष जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 8, 2015 at 9:28am

आदरणीय डा.गोपाल जी, आपका ह्रदय से आभारी हूँ. यह सब ओ.बी.ओ. का सानिध्य है

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 8, 2015 at 9:27am

आपकी बधाई सहर्ष स्वीकार ,आदरणीय रवि जी. आपकी उपस्थिति लघुकथा को सार्थकता प्रदान करती है

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 8, 2015 at 9:25am

आपका हृदयतल से आभारी हूँ, आदरणीय सौरभ जी. स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा.

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 7, 2015 at 11:27pm

संतुष्टि भरी अवनति का तो ज़वाब नहीं !

जीते रहें भाई जितेन्द्र !! ..  शुभकामनाएँ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 7, 2015 at 10:03pm

जीयु भाई ई

आपकी विशेषता या है कि आप कहीं से भे कथा गढ़ लेते हो . वह भी सार्थक कथा . सुन्दर .

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 7, 2015 at 2:07pm

बहुत खूब भाई जितेन्द्र ज़ी सरकारी मशीनरी पर सटीक कटाक्ष करती रचना! ढेरों बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
20 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
20 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service