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लघुकथा : विरोध (गणेश जी बागी)

बेरोजगारी निवारण विधेयक वापस लो.. वापस लो, सरकार की मनमानी नहीं चलेगी...नहीं चलेगी.....

“मम्मी मम्मी जल्दी आओं, टीवी पर पापा को दिखा रहे हैं.”

“अच्छा....”

“मम्मी ये बेरोजगारी निवारण विधेयक क्या है ?”

“पता नहीं बेटा, शाम में जब तेरे पापा आयेंगे तो पूछ कर बताउंगी.”

“सुनिए जी, आज आपको मुन्ना टीवी पर देख बहुत खुश हो रहा था. वैसे एक बात बताइये ये बेरोजगारी निवारण विधेयक क्या है ?”

“पता नहीं यार, मैंने नहीं पढ़ा.”

“फिर आप इसका विरोध क्यों कर रहें है.”

“अरे गज़ब बात करती हो ! अब क्या तुम्हे यह भी बताना होगा कि मैं विरोधी दल का नेता हूँ.”

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट =>साहस

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Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 18, 2016 at 6:48pm
हाहा हा।वाह्ह्ह्ह् !अब विरोधी दल के नेता का तो यही कर्तव्य है।बेहतरीन कटाक्ष।बधाई आदरणीय।
Comment by kanta roy on June 17, 2015 at 12:01am
वाह !!! का विरोधी दलवा के ई नेता होईहै । बहुत ही सुंदर और सार्थक लघुकथा ....... बहुत बढिया है जी यह आदरणीय गणेश जी बागी जी .... बधाई हो

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 23, 2015 at 11:04am

आदरणीय सौरभ भईया, लघुकथा पर आपकी उपस्थिति इसके होने को सार्थक कर गयी, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 23, 2015 at 11:04am

आदरणीय गिरिराज भंडारी भाई साहब, लघुकथा को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 23, 2015 at 11:01am

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, आप द्वारा लघुकथा पर उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 22, 2015 at 9:07pm

आदरणीय सर, सादर अभिवादन! क्या कहूँ, आज के माहौल में सटीक बात तो है ही.। लघुकथा का मर्म भी आप अच्छी तरह समझाते है 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 22, 2015 at 5:58pm

सीधी बात.. तीखा कटाक्ष..

यही एक विरोध का कारण रह गया है कि संज्ञावत कोई व्यक्ति विरोधी पक्ष में है. न दायित्व निर्वहन के भाव, न जनता के लाभ की चिन्ता. बस हर सही-न सही बातों का विरोध.

लघुकथा के माध्यम से चुटीली शैली में आपने आज की राजनीति के सबसे लापरवाह पक्ष को साझा किया, भाई गणॆशजी ..

हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 22, 2015 at 5:28pm

सराहना हेतु आभार आदरणीय मोहन सेठी जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 22, 2015 at 5:22pm

आदरणीय मिथिलेश जी, लघुकथा पर आपका आगमन और सराहना दोनों मुग्धकारी है, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 22, 2015 at 5:21pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया महिमा जी.

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