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लेडीज फर्स्ट (लघुकथा)

“हमे औरत समझ के कमजोर मत आंकना | आज की औरत मर्दों से कमजोर नहीं है” मिसिज चौबे बस के दरवाजे पर खड़े युवक को हडकाते हुए अंदर घुसी ही थी, कि ठसाठस भरी बस में सामने एक सीट पर बैठे एक बूढ़े आदमी को कमजोर जान चिल्लाते हुए बोली |

“ओ बुढऊ ! कुछ शरम वरम है कि नही, उठो बैठना है हमे, जानते नहीं क्या..लेडीज फर्स्ट”

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Sudhir Dwivedi on April 19, 2015 at 10:30pm
लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी

आभार
Comment by Sudhir Dwivedi on April 19, 2015 at 10:29pm
Krishna Mishra जी सहूलियतों को अपने मतलब के लिए अक्सर इस्तेमाल किया जाता है
आभार प्रतिक्रिया हेतु
Comment by Sudhir Dwivedi on April 19, 2015 at 10:27pm
Dr. Vijai Shanker जी

हार्दिक आभार
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 19, 2015 at 6:22pm

स्वार्थ में संस्कार भूल अवसर का  लाभ उठाने को लेकर रची सुंदर  लघु कथा 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 19, 2015 at 2:06pm

अच्छी लघुकथा! हर चीज का फायदा उठाना आजकल रिवाज हो गया है!

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 19, 2015 at 11:31am
सुन्दर, सच लघु-कथा। बधाई , सादर।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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