For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : पूँजी की ग्रोथ रेट सवाई हुई तो है

बह्र : 221 2121 1221 212

 

रोटी की रेडियस, जो तिहाई हुई, तो है

पूँजी की ग्रोथ रेट सवाई हुई तो है

 

अपना भी घर जला है तो अब चीखने लगे

ये आग आप ही की लगाई हुई तो है

 

बारिश के इंतजार में सदियाँ गुज़र गईं

महलों के आसपास खुदाई हुई तो है

 

खाली भले है पेट मगर ये भी देखिए

छाती हवा से हम ने फुलाई हुई तो है

 

क्यूँ दर्द बढ़ रहा है मेरा, न्याय ने दवा

ज़ख़्मों के आस पास लगाई हुई तो है

 

वर्षों से इस ज़मीन में कुछ भी नहीं उगा

इसकी लहू से ख़ूब सिंचाई हुई तो है 

--------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 588

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:06pm

बहुत बहुत धन्यवाद आ. जवाहर लाल जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ. आशुतोष जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब नज़ील साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:05pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ. सौरभ जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:05pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ. शिज्जू जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:04pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ. गिरिराज भंडारी जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:03pm

वीनस जी, आप आए, बहार आई। बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:02pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आ. मिथिलेश जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:02pm

बहुत बहुत धन्यवाद आ. विजय शंकर जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ. प्राची सिंह जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service