For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : नीली लौ सी तेरी आँखों में शायद पकता है मन

बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २

 

यूँ तो जो जी में आए वो करता है, राजा है मन

पर उनके आगे झटपट बन जाता भिखमंगा है मन

 

उनसे मिलने के पहले यूँ लगता था घोंघा है मन

अब तो ऐसा लगता है जैसे अरबी घोड़ा है मन

 

उनके बिन खाली रहता है, कानों में बजता है मन

जिसमें भरकर उनको पीता हूँ वो पैमाना है मन

 

पहले अक़्सर मुझको लगता था शायद काला है मन

पर उनसे लिपटा जबसे तबसे गोरा गोरा है मन

 

मुझको इनसे अक्सर भीनी भीनी ख़ुशबू आती है

नीली लौ सी तेरी आँखों में शायद पकता है मन

---------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 724

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 3, 2015 at 9:49am
बहुत बहुत धन्यवाद आ. जवाहर लाल साहब
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 3, 2015 at 9:49am
तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आ. गिरिराज जी। रदीफ़ थोड़ा सा मुश्किल था इसलिए काफ़िया आसान ले लिया था मैंने। :)
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 3, 2015 at 9:47am
बहुत बहुत धन्यवाद आ. उमेश कटारा जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 3, 2015 at 9:46am
बहुत बहुत शुक्रिया आ. लक्ष्मण धामी जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 3, 2015 at 9:45am
धन्यवाद सोमेश जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 3, 2015 at 9:44am
तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ जनाब इंतज़ार साहब
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 3, 2015 at 9:44am
बहुत बहुत शुक्रिया आ. मिथिलेश जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 3, 2015 at 9:43am
बहुत बहुत शुक्रिया आ. महिमा श्री जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 3, 2015 at 9:41am
बहुत बहुत धन्यवाद आ. प्रतिभा त्रिपाठी जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 3, 2015 at 9:40am
बहुत बहुत शुक्रिया आ. विजय शंकर जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service