For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ए-हुस्न-जाना...............'जान' गोरखपुरी

ए-हुस्न-जाना..

दिल नही रहा अब तेरा दीवाना...

अब मुझको आया कुछ आराम है।

कि तेरे सिवा जहाँ में और भी बहुत काम है।

ए-हुस्न-जाना..

दिल अब तुझसे बेजार है..

हुस्नो-इश्क जबसे बना व्यापर है।

हूँ जिसका मै सिपहसलार बेकार वो दिल का रोजगार है।

ए-हुस्न-जाना..

दूंढ़ ले अब कोई नया ठिकाना...

मालूम मुझको तेरा मकाम है।

के तेरे सिवा जहाँ में और भी बहुत काम है।

ए-हुस्न-जाना..

छोड़ कफ़स-ए-शम्मा-परवाना...

दुनिया-ए-रू में आ देख क्या आराम है।

मै नहीं! तू नहीं! दर नहीं! हरम नहीं!

कोई है,सब उसी के नाम हैं।

****************************************

मौलिक व् अप्रकाशित (c) जान गोरखपुरी

****************************************

Views: 810

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 22, 2015 at 1:04am
आदरणीय कृष्ण भाई जी हुस्न-ए-जाना सुना था ये ए-हुस्न-जाना क्या है।
दुनिया-ए-रू मतलब
कफ़स-ए-शमा परवाना मतलब
आप की रचना और उसकी विधा से खुद को जोड़ नहीं पा रहा हूँ।
विशेष रूप से आदरणीय गोपाल सर और आदरणीय निर्मल भाई जैसे सुधिजनों की प्रतिक्रिया के परिप्रेक्ष्य में रचना को समझने की भरसक कोशिश की है।निवेदन है कृपया रचना की सार्थकता से अवगत कराने का कष्ट करें।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 21, 2015 at 8:58pm

रचना पर आपकी सार्थक प्रतिकिया पाकर मन हर्षित हुआ!तहेदिल से शुक्रिया आदरणीय! निर्मल नदीम जी!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 21, 2015 at 8:56pm

रचना के अनुमोदन के लिए तहेदिल से शुक्रिया आदरणीय vijai shanker जी!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 21, 2015 at 8:55pm

हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत आभार! आदरणीया प्रतिभा जी!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 21, 2015 at 8:53pm

भाई महर्षि बहुत बहुत शुक्रिया!सस्नेह!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 21, 2015 at 8:52pm

आ० गोपाल नारायण सर!आपकी उपस्थिति पाकर रचनाकर्म सार्थक हो जाता है!बहुत बहुत आभार गुरुवर!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 21, 2015 at 8:47pm

प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आ० shyam mathpal जी.

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 21, 2015 at 8:45pm

सराहना के लिये बहुत बहुत आभार! आदरणीय Shyam Narain Verma जी!

Comment by Nirmal Nadeem on March 21, 2015 at 3:05pm
बहुत खूब
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 21, 2015 at 3:58am
आकर्षक , सारगर्भित , बधाई , आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service