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ग़लतफ़हमी कि पोखर साफ़ पानी का बना होगा |
कमल खिलता हुआ होगा तो कीचड़ से सना होगा। |
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सुख़नवर ने सुखन की बाढ़ ला दी क्या कहे साहिब |
सुखन में है सुखन कितनी, यही बस सोचना होगा। |
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उजाले कुछ सदाकत के संभालों आखिरी दम को |
न कोई साथ में होगा, अँधेरा भी घना होगा। |
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रवां रफ़्तार में खोया तू अपनी कामयाबी की |
न तेरा छूट जाए घर, इसे अब रोकना होगा। |
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दिया है कब निज़ामत ने किसी को मांगने से कुछ |
अगर हक़ चाहिए तुमको जबर से छीनना होगा। |
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अमूमन फेसबुक पर मैं बहुत अपडेट रहता हूँ |
पड़ोसी कौन है मत पूछ शायद सोचना होगा। |
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हमेशा जी-हुजूरी से यहाँ सब काम होते है |
हुनर अब जेब में रख लो कि नाहक ही फ़ना होगा। |
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Comment
आ.मिथिलेश वामनकर जी,
लाजवाब. ढेरों बधाई.
आदरणीय मिथिलेश भाई , बढिया गज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ॥
अमूमन फेसबुक पर मैं बहुत अपडेट रहता हूँ |
पड़ोसी कौन है मत पूछ शायद सोचना होगा। |
वाह भाई जी क्या बात कह दी वाह खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई |
वाह आ० मिथिलेश सर क्या बात है! धामी सर की गजल के बाद! एक और बेहतरीन गज़ल! तुलना करना मुश्किल हो गया किसे बेहतर कहूँ! दोनों आप में ही लाजव़ाब!!
ग़लतफ़हमी कि पोखर साफ़ पानी का बना होगा
कमल खिलता हुआ होगा तो कीचड़ से सना होगा। इससे बेहतरीन मतला नही हो सकता!!इस बेमिसाल मत्ले पर ढेरों दाद! आदरणीय!
सुख़नवर ने सुखन की बाढ़ ला दी क्या कहे साहिब
सुखन में है सुखन कितनी, यही बस सोचना होगा। बहुत ही खूबसूरत कटाछ!! सार्थक सन्देश लिए! बेहद उम्दा शेर!!
दिया है कब निज़ामत ने किसी को मांगने से कुछ
अगर हक़ चाहिए तुमको जबर से छीनना होगा। क्या कहने! क्या कहने! बिल्कुल सच कहा आपने सर!
अमूमन फेसबुक पर मैं बहुत अपडेट रहता हूँ
पड़ोसी कौन है मत पूछ शायद सोचना होगा। ये शेर तो सितम ढा रहा है!! आज का सच! गूँज बनी रहेगी इसकी!
अमूमन फेसबुक पर मैं बहुत अपडेट रहता हूँ |
पड़ोसी कौन है मत पूछ शायद सोचना होगा। |
हमेशा जी-हुजूरी से यहाँ सब काम होते है |
हुनर अब जेब में रख लो कि नाहक ही फ़ना होगा। आदरणीय मिथिलेश जी बहुत अच्छी गज़ल कही आपने, ये दो अशआर विशेष रूप से पसंद आए बहुत बहुत बधाई ...... |
अमूमन फेसबुक पर मैं बहुत अपडेट रहता हूँ |
पड़ोसी कौन है मत पूछ शायद सोचना होगा। |
waah waah kya baat hai .. zabardast! |
दिया है कब निज़ामत ने किसी को मांगने से कुछ |
अगर हक़ चाहिए तुमको जबर से छीनना होगा।-----सही कहा |
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अमूमन फेसबुक पर मैं बहुत अपडेट रहता हूँ |
पड़ोसी कौन है मत पूछ शायद सोचना होगा।----हाहाहा बहुत बढ़िया कटाक्ष व्यंग्य बाणों से भरा तरकश है ये ग़ज़ल बहुत सुन्दर ,उम्दा ...दिली बधाई आपको मिथिलेश जी |
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हार्दिक बधाइ स्वीकार करें इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए । सादर । |
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