For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तिका: गलत मुहरा ----- संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:                                                                          

गलत मुहरा

संजीव 'सलिल'
*
सही चहरा.
गलत मुहरा..

सिन्धु उथला,
गगन गहरा..

साधुओं पर
लगा पहरा..

राजनय का
चरित दुहरा..

नर्मदा जल
हहर-घहरा..

हौसलों की
ध्वजा फहरा..

चमन सूखा
हरा सहरा..

ढला सूरज
चढ़ा कुहरा..

पुलिसवाला
मूक-बहरा..

बहे पत्थर
'सलिल' ठहरा ..

****************

Views: 739

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on March 31, 2011 at 10:34am

aadarniy salil ji,

dhanywaad, aapne meri shanka ka samadhan kiya.

Comment by sanjiv verma 'salil' on March 31, 2011 at 8:05am

बहुधा लघु मात्रावाले शब्द के अंत में दीर्घ मात्रा होने पर पुल्लिंग से स्त्रीलिंग होता है पर हमेशा नहीं.
'ध्वज' पुल्लिंग, 'ध्वजा' स्त्रीलिंग किन्तु 'नर' को 'नरा' न करें 'नारी' करना होगा. 'कलश' को 'कलशा' करने पर भी लिंग नहीं बदलता. लिंग संबंधी नियमों की पूरी जानकारी के लिये हिन्दी व्याकरण की कोई किताब देखें.

आशीष जी किसी शंड का अंतिम अक्षर लघु/दीर्घ, आकारांत या ईकारांत होना लिंग निरधारण का एकमात्र कारण नहीं है.

Comment by satyendr sengar on March 30, 2011 at 1:39am
श्रद्धेय सलिल जी प्रणाम....
क्या मात्रा बढाने से लिंग परिवर्तन हो जाता है..? ध्वज पुल्लिंग और ध्वजा स्त्रीलिंग के रूप में प्रयोग होता है?...कृपया शंका समाधान करें...
Comment by आशीष यादव on March 29, 2011 at 7:09pm
आचार्य जी सादर प्रणाम
कभी-कभी शब्दों को पढ़ कर एक दुविधा सी उत्पन्न हो जाती है,
जैसे की हाथी पुलिंग है लेकिन लोग अक्सर गलत कर जाते है और लिख बैठते है की हाथी जाती है|
लेकिन मै यह कहना चाहता हूँ की कभी-कभी शब्दों को बदल देने से [ भले ही उनके अर्थ वही हों ] लिंग भी बदल जाता है जैसे की
सूरज का प्रयोग हम पुलिंग की तरह ही करते हैं जबकि सविता [ जो की पर्यायवाची है] प्रयोग स्त्रीलिंग में होता है|
मुझे इस पंक्ति
हौसलों की ध्वजा फहरा
पर अब भी संदेह हो रहा है,
कृपया मेरा संदेह दूर करें
 
आप का शिष्य
आशीष यादव
Comment by sanjiv verma 'salil' on March 25, 2011 at 2:09pm
धन्यवाद.
बिलकुल सही है. देखिये:
 
विजय पताका फहरा.
भारत का झंडा फहरा.
हौसलों की ध्वजा फहरा.
Comment by Tapan Dubey on March 24, 2011 at 3:44pm
बहे पत्थर
'सलिल' ठहरा ..

वाह क्या अंदाज है,
Comment by विवेक मिश्र on March 22, 2011 at 12:07pm

/बहे पत्थर
'सलिल' ठहरा/

/चमन सूखा
हरा सहरा/

(गहरे भाव हैं. सुन्दर अभिव्यक्ति.)

/हौसलों की
ध्वजा फहरा/ (क्या यह पंक्ति व्याकरण की दृष्टि से सही है? छात्र का ज्ञान बढ़ाएं.)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service