For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेत अफजल औ' कसाबों के यहाँ - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर’

2122   2122   212
********************
फिर  चिरागों  को बुझाने ये लगे
रास्ता  तम  का  सजाने ये लगे
****
प्रेत अफजल औ' कसाबों के यहाँ
कुर्सियाँ  पाकर   जगाने  ये  लगे
****
साजिशें  रचते  मरे  हैं  जो उन्हें
देश भक्तों  में  गिनाने  ये  लगे
****
देश  के  गद्दार   जितने  बंद  हैं
राजनेता  कह  छुड़ाने  ये  लगे
****
बनके अपने आज खंजर देख लो
आस्तीनों   में   छुपाने   ये  लगे
****
हौसला  दहशतगरों  का यार यूँ
घर  के भीतर  ही बढ़ाने ये लगे
****
है  नहीं  कश्मीर  भारत  देश में
बात फिर से बस जताने ये लगे
****
पाप  इनको  यार  ‘बंदे मातरम’
'पाक  जिंदाबाद’  गाने  ये  लगे
****
जाग जाओं जाँनिसारों जल्द अब
जाफरों   के  गीत  गाने  ये  लगे

****
मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 14, 2015 at 11:15am

आदरणीय भाई हरी प्रकाश  जी अपका स्नेह पाकर मनोबल उच्चतम हुआ । गजल पर उपस्थिति के लिए कोटि कोटि धन्यवाद ।

Comment by Hari Prakash Dubey on March 12, 2015 at 2:11pm
आदरणीय धामी जी , बहुत सुन्दर समसामयिक रचना ,बहुत बहुत बधाई आपको !
देश के गद्दार जितने बंद हैं
राजनेता कह छुड़ाने ये लगे
बनके अपने आज खंजर देख लो
आस्तीनों में छुपाने ये लगे...बहुत खूब ! सादर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:08am


आदरणीय भाई खुर्शीद जी अपका स्नेह पाकर मनोबल उच्चतम हुआ । गजल पर उपस्थिति के लिए कोटि कोटि आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:07am

आदरणीय भाई सौरभ जी , आपके समर्थन से गजल हस्ताक्षरित हुई देख मन में नई उमंग भर गई । यह रचना पोस्ट करते हुए मन में एक संकोच सा था । सोच रहा था इस तरह की गजल को पोस्ट करना मंच के अनुकूल होगा भी या नहीं । आप सभी का स्नेह पाकर आस्वस्थ हूं । हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:07am

आदरणीय भाई विजय शंकर जी, आपका स्नेह पाकर लेखन सार्थक लगा । हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:07am

आदरणीय भाई कृष्ण मिश्रा जी, आपका समर्थन पाकर धन्य हुआ । हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:06am

आदरणीय भाई महर्षि त्रिपठी जी उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:06am

आदरणीय भाई श्याम मठपाल ली, समर्थन के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:06am

आदरणीय भाई गोपालनारण जी गजल का अनुमोदन और शुभाशीष के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 9:03am

देश  के  गद्दार   जितने  बंद  हैं
राजनेता  कह  छुड़ाने  ये  लगे
****
बनके अपने आज खंजर देख लो
आस्तीनों   में   छुपाने   ये  लगे
आदरणीय 'मुसाफ़िर' साहब ,उम्दा और समसामयिक ग़ज़ल है |ढेरों दाद कबूल फरमावें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"काफ़िराना (लघुकथा) : प्रकृति की गोद में एक गुट के प्रवेश के साथ ही भयावह सन्नाटा पसर गया। हिंदू और…"
44 minutes ago
Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मनचाही सभी सदस्यों नमन, आदरणीय तिलक कपूर साहब से लेकर भाई अजय गुप्त 'अजेय' सभी के…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका कहना सही है, पुराने सदस्यों को भी अब सक्रिय हो जाना चाहिए।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"<span;>आदरणीय अजय जी <span;>आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है। यह मंच हमेशा से पारस्परिक…"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी साथियों को प्रणाम, आदरणीय सौरभ जी ने एक गंभीर मुद्दे को उठाया है और इस पर चर्चा आवश्यक है।…"
4 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"विषय बहुत ही चुनकर देते हैं आप आदरणीय योगराज सर। पुराने दिन याद आते हैं इस आयोजन के..."
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, प्रस्तुत रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।तीसरी और चौथी पंक्तियों को पढ़ते समय…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, अच्छी रचना है सादर बधाई आपको"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय रवि शुक्ला जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar updated their profile
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"भाई मयंक जी, व्यवहार में निरमलता व विनम्रता ही ज्ञान का परिचय देती । सभी वरिष्ठों का आशीष बना रहे…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मंच के सभी सदस्यों को सादर अभिवादन। कई बार मन में आया कि मंच से वरिष्ठ व अनभवी और मार्गदर्शक…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service