For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आवाज़ का रहस्य (कहानी )

आवाज़ का रहस्य (कहानी )

प्रशिक्षु चिकित्सक के रूप में दिनेश और मुझे कानपुर देहात के अमरौली गाँव में भेजा गया था |नया होने के कारण हमारी किसी से जान-पहचान ना थी इसलिए हमने अस्पताल के इंचार्ज से हमारे लिए आस-पास किराए पर कमरा दिलाने को कहा |उसने हमे गाँव के मुखिया से मिलवाया |

“ किराए पे तो यहाँ कमरा मिलने से रहा |तुम अजनबी भी हो और जवान भी | परिवार भी नहीं है !ऐसे में कोई गाँव वाला - - - “

“ ऐसे में ये लड़के चले जाएंगे |फिर गाँव वालों का ईलाज - - - - कितनी बार लिखने पर मेडिकल कालेज ने इन्हें यहाँ - - -“ इन्चार्ज ने चेताया

“ एक काम हो सकता है |” मुखिया ने कुछ सोचकर कहा |

“ गाँव के दक्षिणी छोर पर मेरा जानवरों का तबेला है |तबेले के ऊपर एक रूम-सैट है |ये अगर रह सकते हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं|मैं इसका किराया भी ना लूँगा |”

“हाँ-हाँ हाँ - -हम रह लेंगे|” हम दोनों ने एक स्वर में कहा |

सर्दियों का मौसम था,अँधेरा जल्दी घिर आता था |ऊपर से वहाँ बिजली भी नहीं पहुंची थी |

गोधूलि की बेला पर हम मुखिया के साथ तबेले पर पहुँचे |गाय-भैंस समेवत स्वर में गायन की प्रतिस्पर्धा कर रहीं थी |झींगुर झन-झना रहे थे और रह-रहकर छन-छन खन-खन टsन –टsन गाय और भैंसों के गले में बंधी छोटी घंटियाँ बज उठती |मच्छर भी रह-रहकर झनs s कर रहे थे |मानों कह रहे थे मियां ये हमारा बसेरा है तुम कैसे !

ऊपर कमरे में पहुँचे तो पाया कि 16-18 के बीच की मध्यम काठी और हल्के गेहूँए वर्ण की एक लड़की कमरे को बुहार रही थी |वो थोड़ा आगे बढ़ी तो–“छन-छन “ शायद उसने पायल पहनी थी |मेरी नज़र उस पर पड़ी और उसने हल्की सी पलके उठाई और फिर तुरंत झुका लीं |झाड़ू लगाकर वो जाने लगी |मन हुआ उसका नाम पूछूँ पर संकोच और शिष्टता के चलते चुप रहा |

मुखिया ने उसे पुकार कर कहा-“मंगला,काकी से कहियो की चाय-पानी भिजवा दें |”और छन-छन छन की आवज़ धीमी होती चली गई |

“बेचारी,3 साल की थी तभी माँ सामने वाले तालाब में पैर फिसलने से डूब गई ,बाप 2 साल पहले सड़क-हादसे में गुजर गया तब से हमारे यहाँ ही रहती है |जात से कुम्हार है |”अलगनी पर खड़े मुखिया ने तालाब से मुँह हमारी तरफ फेरते हुए कहा |

चाय-पानी पीते हुए सारी औपचारिक बाते होती रही |बीच-बीच में मुखिया हमें गाँव के किस्से सुनाता रहा और ये भी बताता रहा कि गाँव की कौन सी जगहें भुतिया हैं और कहाँ रात में जाने से बचना है |बीच-बीच में खन-खन छन-छन तबेले के जानवरों की गति से उनके गले की घंटिया बज उठती थी |

मुखिया हमें अपने घर भोजन के लिए ले गए |खाना परोसने का काम मंगला कर रही थी उसके कदमों के साथ उसकी पायल छनक उठती |एकाध बार जब मैनें चावल मांगते हुए उसकी तरफ देखा तो उसने शर्माहट भरी हल्की मुस्कान के साथ खूब सारा चावल परोस दिया |

भोजन के बाद मुखिया हमें तबेले तक छोड़ने आया और लगभग चेतावनी के स्वर में कहा “ध्यान रखना!रात को बाहर मत निकलना |यहाँ कई तरह के खतरे हैं| ”

मुखिया के जाते ही हमने दरवाजा भेडा ,लालटेन बंद की और एक-एक चारपाई पे लेट गए और मुँह ढक लिया |लगभग 8 बज रहे थे पर सर्दी और दूर-दूर तक अँधेरा होने से मध्य-रात्रि का अनुभव हो रहा था |

मैं मुँह ढके अपनी रजाई का तापमान बढ़ा रहा था |

“विजय !”लगभग 11 बजे के आसपास किसी की हल्की सी पुकार सुनाई दी |नींद में होने और सर्दी के कारण मैंने अनसुना कर दिया |

“अरे विजय !”उसने जोर से कहा और लगभग कूदता हुआ मेरी रजाई में आ घुसा |

”क्या हुआ ठंड ज़्यादा लग रही है ?” मैंने मजाकिया लहजे में पूछा |

“तुम्हें कुछ सुनाई दिया |” उसने कुछ आशंका से कहा |

“छुs न ,छुs न ,छुsन “रह-रहकर मृदुल पायलों सी ध्वनि सुनाई पड़ी |

भss उ ,हूआँ-हूआँ s,कुत्तों और सियारों में संगीत प्रतिस्पर्धा चल रही थी |

“काss य-2” शायद नींद में खलल पड़ने से किसी ग्रामीण ने ग्वइए को खदेड़ा था |

“सो जा यार ,ये गाँव है ,यहाँ ये सब नार्मल है |”

लगभग बीस मिनट बाद वो फिर बिस्तर में चला आता है |

“मुझे वो आवाज़ फिर सुनाई दे रही हैं,तू भी सुन- -  “ दिनेश ने बिस्तर में घुसते हुए कहा |

“ छsन ,छुsन ,छुsन ,- - “

“अरे नीचे तबेले के जानवरों को घंटिया बज रही होंगी,जा,सो जा |”

तभी –“छूs नs”

सुना तुमनें वो आवाज़ घंटियों की आवाज़ से अलग है |तभी –“भाँs ,माँs”

“कुछ नहीं यार तू वहम पाल रहा है ,जा,सो जा |”

तभी- “छुन –छुन ,छनss”

“सुना ऐसा लगता है कोई आस-पास पायल पहने टहल रहा है |”वो डरते-डरते बोला |

धड़कने मेरी भी तेज़ हो गई| अब शंका ने जन्म ले लिया था |तभी मंगला का ख्याल आया |मैं झट से उठा और दरवाज़ा खोल दिया |

दिनेश ने घबराते हुए कहा –“क्या कर रहे हो ?”

उसकी बात काटते हुए मैंने आसपास और पूरे आहाते में टार्च मारी |

“कौन है –कौन है ?”पर वहाँ जवाब देने वाला कोई ना था |

मैंने दरवाज़ा लगाया और रजाई में घुसा ही था कि-“छुन –छुन ,छनss “

अब तो मेरी घबराहट भी बढ़ने लगी थी पर मैंने देखा कि दिनेश पसीने से तरबतर है और उसका चेहरा भय से पीला पड़ गया है |

“डरों मत यार !इससे समस्या हल नहीं होने वाली |ये आवाज़ जिस वजह से भी हो इसका पता तो लगाना ही होगा |” मैंने ज़ोर देते हुए कहा और अंगुली के इशारे से उसे चुप्प रहने का संकेत कर अपना ध्यान आवाज़ की दिशा पर केन्द्रित किया|

“सुनों,ये छत की दूसरी तरफ से आ रही है |” मैंने बहुत धीमे से कहा |

“जय हनुमान ज्ञान गुण सागर - - -“दिनेश ज़ोर-ज़ोर से बुदबुदाने लगा |मैंने उसे डाटा और टार्च लेकर आवाज़ की दिशा में बढ़ने लगा|दिनेश रजाई में खुद को छुपाए हनुमान जाप करता रहा |मैंने कमरे का छत की तरफ वाला दरवाज़ा आहिस्ते से खोला पर लकड़ी का दरवाज़ा चरर्रS करते हुए खुला और तभी –“छुन-छुन-छुन्नS”

“बाप रे !बचाओं रे !”चिल्लाता हुआ दिनेश मुझसे आकर लिपट गया |और तभी –

“हुआँ-हुआँ,भुउ -भुउ ओ,झन्न-झन्न, टर्र-टर्र |”

रात के 12 बज चुके थे |खुला ग्रामीण इलाका होने के कारण वातावरण में हल्का धुंधलका था |आसमान साफ़ था और असंख्य तारे आँखों को अभिभूत कर रहे थे ,जुगनू इधर-उधर भ्रमण कर रहे थे और हवा का स्पर्श पाकर पत्ते खड़-खड़ कर उठते |हवा से ठंड और बढ़ गई थी पर डर के मारे हृदय धौकनी हुआ जाता था |

“टर्र-टर्र “ टार्च मारी तो तबेले से कुछ दूर स्थित तालाब का पानी और मेंढकों की आँखे चमकी |दिनेश ने उधर से मुँह फेर लिया और तभी –“भौSऊS”

शायद टार्च की रोशनी से आसपास का कोई कुत्ता चौकन्ना हो गया था |हमने छत पर बने बाथरूम और टायलेट को चेअक किया पर कुछ नहीं मिला |

हम वापस कमरे का दरवाज़ा बंद करने को मुड़े ही थे कि- “छुन –छुन ,छनss”

“भाई वो प्रधान जी ने,मंगला की माँ के बारे में - - - - “

“चुप्प,बेकार की बात मत कर ,डाक्टर होकर ऐसी बात करता है |”

“आ,मेरे साथ - - - - अब पता लगाकर ही दम लूँगा|”

तभी-“छुन –छुन ,छनss”

हम दबे पाँव बाहर आते हैं पर कुछ नज़र नहीं आता |हम फिर से आसपास का मुआयना करते हैं पर रिजल्ट सिफ़र तभी –“छुन –छुन ,छनss”

मैं बाथरूम पर टार्च मारता हूँ पर कुछ नहीं |

तुमने गौर किया ये आवाज़ पायल की नहीं लगती |वो तो नीचे की तरफ से उठती है - - - “

“चुड़ैले कहीं भी आ जा सकती हैं |”

“अब अगर तू कुछ भी बोला तो,तुझे यहीं बाहर छोड़ अंदर कमरे में सो जाऊँगा |”

वो चुप्प हो गया |मैंने बाथरूम की छत की तरफ टार्च मारी |उसकी दक्षिणी दीवार में ईटों की जाली का रोशनदान बना था |पर टार्च की लाईट मद्धम पड़ जाने के कारण कुछ साफ़ नहीं दिखता था |

मैं जल्दी से दूसरी टार्च उठाकर लाया और हम चुपचाप बाथरूम के गेट पर खड़े हो गए |कुछ देर बाद-“छुन –छुन ,छनss”

मैंने आवाज़ की तरफ टार्च मारी और नन्ही चिड़िया से एक छोटी आकृति नज़र आई |संदेह मिटाने के लिए हम खड़े रहे और जैसे ही “छु न S “ मैंने अपनी टार्च चिड़िया की तरफ कर दी |वो एक छोटा हमिंग बर्ड था |कलरव करते समय उसकी गर्दन लट्टू सी नाचती थी |दिनेश उसे देखकर हैरान था और वहम में भी |ना चाहते हुए भी मैंने चिड़िया को उड़ा दिया |

अगली शाम को जब अस्पताल से लौटे तो –“छन-छन –छन “ मंगला झाड़ू लगा रही थी |

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 1175

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on February 24, 2015 at 9:46pm

भाई हरि प्रकाश जी रचना को समय देने के लिए शुक्रिया ,आ.गोपाल नारायण जी एवं गिरिराज सर जी हौसलाअफजाई एवं मार्गदर्शन के लिए तहे दिल से आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 23, 2015 at 9:42pm

आदरनीय सोमेश भाई , आपकी कहानी बहुत अच्छी लगी , हार्दिक बधाई आपको !! आदरणीय गोपाल भाई जी की बातों का संज्ञान ज़रूर लें ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 21, 2015 at 4:53pm

सोमेश जी

कहानी अच्छी लगी i

टिप- कहानी  सुनने और लिखने में फर्क है  i कहानी present नहीं होती  आपने   present indefinite  tense का प्रयोग संवाद से इतर किया i संवाद में संभव है पर इतर नहीं i------ मैं बाथरूम पर टार्च मारता हूँ पर कुछ नहीं |--------- मैंने बाथरूम  के अन्दर टार्च  मारी पर कुछ दिखाई न दिया

ध्वन्यार्थक शब्दों का प्रयोग कम से कम करे शब्द को सहज रखे i i सियारों की हुआ हुआ  की आवाजे आ रही थे i इनकी प्रतिक्रिया में कुत्ते भौंक रहे थे i

सस्नेह i

Comment by Hari Prakash Dubey on February 20, 2015 at 9:43pm

सोमेश भाई ,सुन्दर रचना ,बधाई आपको !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
6 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
23 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
27 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
30 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
32 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
33 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
58 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service