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पंचायत (लघुकथा)

"भीखू, तुम्हारे बेटे पर चौधरी साहब की बेटी से बलात्कार करने का अपराध साबित हो गया है। अब पंचायत अपना फैसला सुनाएगी।"
"मैं भरी पंचायत में यह यकीन के साथ कह सकता हूँ यह मेरा बेटा नहीं हो सकता है। हमारे खून में इतनी हिम्मत नहीं है किसी के साथ जबरदस्ती करे। यह जरूर किसी.........।"


मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by शिज्जु "शकूर" on January 22, 2015 at 10:53am
ये अपराध ही ऐसा है की बाप क्या कहे क्या करे आपको इस रचना के लिए बधाई
Comment by somesh kumar on January 22, 2015 at 10:48am

ये मेरा खून नहीं हो सकता |शायद संसकारों और अपनी दीनता पर यकीन है उसे| पर बदलते परिवेश में सब कुछ संभव है या जिसकी लाठी उसकी भैंस जो भी अच्छा प्रयास हैं शीर्षक के अनुसार 

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